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उत्तर प्रदेश में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन और केरल के संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के लिंक होने की खबरें सामने आ रही हैं. न्यूज एजेंसी PTI ने ED के सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि एजेंसी को प्रदर्शन और PFI के 'वित्तीय संबंधों' के बारे में पता चला है. इसके साथ ही कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इंदिरा जयसिंह और कपिल सिब्बल जैसे कुछ वरिष्ठ वकीलों को PFI का पैसा मिलने की बात भी कही गई है. इन रिपोर्ट्स पर अब जयसिंह और सिब्बल ने प्रतिक्रिया दी है.
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने PFI से पैसा मिलने की बात नकारी है. जयसिंह ने लिखा कि मीडिया रिपोर्ट्स में उन्हें PFI से 4 लाख मिलने की बात गलत है. उन्होंने लिखा,
इंदिरा जयसिंह ने कहा है कि उनकी साख को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाले मीडिया प्लेटफॉर्म पर वो लीगल एक्शन लेंगी.
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपने खिलाफ छपी खबरों को प्रोपेगेंडा मशीन का काम बताया है.
सिब्बल ने कहा कि ऐसी स्टोरी के पीछे एक मकसद है. उन्होंने कहा, "मकसद झूठ के सहारे लोगों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है. ये प्रोपेगेंडा मशीन का काम लगता है. इसे सरकार का समर्थन है और सोशल मीडिया पर मीडिया 'भक्तों' ने जिम्मेदारी ली हुई है."
PFI ने इन आरोपों से साफ इनकार कर दिया है. संगठन के महासचिव मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा, “PFI पर CAA के विरोध को भड़काने के लिए फंडिंग करने के आरोपों की हम कड़ी निंदा करते हैं. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि PFI से जुड़े 73 बैंक खातों के माध्यम से CAA के विरोध के लिए 120 करोड़ रुपए भेजे गए थे.”
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, ED के सूत्रों ने बताया है कि PFI ने CAA के खिलाफ प्रदर्शनों की फंडिंग की है. मनी लॉन्ड्रिंग के तहत PFI की जांच कर रही ईडी ने पता लगाया है कि कानून के पारित होने के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संगठन से जुड़े कई बैंक खातों में कम से कम 120 करोड़ जमा किए गए.
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