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एडिटर्स गिल्ड (Editors Guild of India) ने कश्मीर प्रेस क्लब (Kashmir Press Club) पर पत्रकारों के एक ग्रुप द्वारा कतिथ तौर पर जबरन कब्जा करने पर खेद जताया है. कश्मीर प्रेस क्लब, जो की कश्मीर घाटी में पत्रकारों का सबसे बड़ा संगठन है, वहां शनिवार,15 जनवरी को जमकर बवाल हुआ था. जिसमें प्रेस क्लब सदस्यों के एक ग्रुप ने अपने तदर्थ निकाय (Ad-hoc body) को हटा दिया और कथित तौर पर सशक्त पुलिसबल की मदद से नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था.
एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि 15 जनवरी को पत्रकारों के एक समूह ने जिस तरह से कश्मीर प्रेस क्लब को सशस्त्र पुलिसकर्मियों की मदद से जबरन अपने कब्जे में ले लिया, उससे एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया हतप्रभ है.
आगे लिखा गया है "2022 सोसायटी रजिस्ट्रार द्वारा 14 जनवरी, 2022 को क्लब के इस सशस्त्र कब्जे से एक दिन पहले, कश्मीर प्रेस क्लब के पंजीकरण को "स्थगित" करने के मनमाने आदेश से भी गिल्ड उतना ही चिंतित है. रजिस्ट्रार द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस के जवाब में क्लब को मई 2021 में उनके द्वारा किए गए एक आवेदन के सत्यापन की लंबी प्रक्रिया के बाद हाल ही में 29 दिसंबर, 2021 तक एक नया "पुन: पंजीकरण" जारी किया गया था."
हुआ यूं था कि 29 दिसंबर को क्लब का पंजीकरण जारी किया गया था, जिसके बाद नए चुनावों की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन अचानक कल कुछ गैर-सदस्यों सहित पत्रकारों के एक ग्रुप ने "अंतरिम निकाय" के प्रस्ताव के साथ प्रशासन से संपर्क किया ” और बाद में पुन: पंजीकरण को रोक दिया गया था.
घटना का विवरण करते हुए एडिटर्स गिल्ड ने लिखा है की "पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा क्लब की शुचिता का यह उल्लंघन राज्य में प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलने की निरंतर प्रवृत्ति का एक उद्धरण है.अभी हाल ही में एक युवा पत्रकार सज्जाद गुल को सोशल मीडिया पर केवल एक वीडियो पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया था जिसमें एक परिवार को भारत सरकार का विरोध करते हुए दिखाया गया था."
एडिटर्स गिल्ड इस उग्र अधिग्रहण से पहले यथास्थिति की तत्काल बहाली, एक नए प्रबंधन निकाय और कार्यकारी परिषद की नियुक्ति के लिए चुनावों की घोषणा, और किसी भी सशस्त्र बलों पर बिना कानूनी मंजूरी के क्लब के कामकाज में हस्तक्षेप करने पर सख्त प्रतिबंध की मांग करता है. गिल्ड आगे एक स्वतंत्र जांच की मांग करता है कि सशस्त्र बल क्लब परिसर में कैसे घुसे.
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