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राजदीप और बाकी पत्रकारों के खिलाफ दर्ज केस रद्द हो: एडिटर्स गिल्ड

गिल्ड की तरफ से मांग की गई है कि इन पत्रकारों पर हुई एफआईआर को तुरंत रद्द किया जाए.

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गिल्ड की तरफ से मांग की गई है कि इन पत्रकारों पर हुई एफआईआर को तुरंत रद्द किया जाए
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गिल्ड की तरफ से मांग की गई है कि इन पत्रकारों पर हुई एफआईआर को तुरंत रद्द किया जाए
(Photo: Video Screengrab)

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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने शनिवार, 30 जनवरी को दिल्ली में किसान प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकारों और वरिष्ठ संपादकों पर हुई FIR की निंदा की. गिल्ड की तरफ से मांग की गई है कि इन पत्रकारों पर हुई एफआईआर को तुरंत रद्द किया जाए.

बता दें कि इंडिया टुडे के पत्रकार और टीवी एंकर राजदीप सरदेसाई के अलावा 5 और पत्रकार मृणाल पांडे, विनोद जोस, जफर आगा, परेश नाथ और अनंत नाग के खिलाफ नोएडा पुलिस ने 28 जनवरी को देशद्रोह का केस दर्ज किया गया. एफआईआर के मुताबिक 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली के दिन इन लोगों ने गलत खबर शेयर की और हिंसा भड़काने की कोशिश की.

वरिष्ठ पत्रकार सीमा मुस्तफा ने प्रेस क्लब में बोलते हुए कहा कि-

जमीन पर रिपोर्टिंग करते हुए प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से रिपोर्टिंग करने में गलतियां हो जाती हैं. ये केस दर्ज करके ये पत्रकारों को परेशान करना और दबाना चाहते हैं.
सीमा मुस्तफा, पत्रकार
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एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में कहा है, “हम धमकी भरे तरीके की निंदा करते हैं जिसमें 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग के लिए यूपी और एमपी पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. गिल्ड ने इन एफआईआर को धमकाने, परेशान करने और फ्री मीडिया पर हमले के रूप में देखता है.”

क्या है पूरा मामला

गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली, जिसमें किसानों के आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया. इस घटना की रिपोर्टिंग को लेकर पत्रकारों पर आरोप लगा है कि इन्होंने गणतंत्र दिवस के मौके पर अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए हिंसा फैलाने का काम किया. नोएडा पुलिस ने जिन लोगों खिलाफ मामला दर्ज किया है. उनमें पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडे और जफर आगा शामिल हैं. बताया गया है कि देशद्रोह जैसी गंभीर धाराओं के तहत सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

दरअसल, गणतंत्र दिवस वाले दिन किसानों के प्रदर्शन में एक शख्स की मौत हो गई थी, राजदीप सरदेसाई ने मृतक की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा था कि प्रदर्शनकारी की मौत कथित पुलिस की गोली से हुई है. लेकिन बाद में ये बात सामने आई कि उस व्यक्ति की ट्रैक्टर पलटने की वजह से मौत हुई थी.

शुक्रवार को जारी एक बयान में, गिल्ड ने कहा कि पत्रकारों को विशेष रूप से उनके व्यक्तिगत सोशल मीडिया हैंडल पर प्रदर्शनकारियों में से एक की मौत से जुड़ी रिपोर्टिंग के लिए टारगेट किया गया है.

गिल्ड ने यूपी सरकार से तुरंत एफआईआर वारस लेने की अपील क है. साथ ही ये भी कहा है कि इस मामले में न्यायालय को देखना चाहिए, क्योंकि हर बार पत्रकारों पर इस तरह से देशद्रोह जैसी गंभीर धाराओं के का इस्तेमाल कर उनकी बोलने और लिखने की आजादी पर पहरा लगाने की कोशिश होती है.

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Published: 30 Jan 2021,09:23 PM IST

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