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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India ) ने टीआरपी घोटाले में आरोपी रिपब्लिक टीवी और उसके पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर पर बयान जारी किया है. चैनल को फटकार लगाते हुए एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि अभिव्यक्ति के अधिकार का मतबल हेट स्पीच को बढ़ावा देने का लाइसेंस मिलना नहीं है. गिल्ड ने कहा कि चैनल को ‘जिम्मेदार बर्ताव’ करना शुरू करना चाहिए. साथ ही, एडिटर्स गिल्ड ने ये भी कहा कि पत्रकारों को निशाना बनाना बंद किया जाए.
अपने बयान में एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों के खिलाफ सैकड़ों एफआईआर देखकर उन्हें दुख है.
एडिटर्स गिल्ड ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में रिपोर्टिंग को लेकर भी रिपब्लिक टीवी को फटकार लगाई. गिल्ड ने कहा कि टीआरपी घोटाले के अलावा, सुशांत सिंह राजपूत की मौत के दौरान रिपब्लिक टीवी का आचरण भी मीडिया की विश्वसनीयता और रिपोर्टिंग की सीमाओं के मुद्दों को उठाता है. बयान में बॉम्बे हाईकोर्ट की उस टिप्पणी का भी जिक्र किया गया है, जिसमें कोर्ट ने सुशांत मौत की रिपोर्टिंग को लेकर चैनल से सवाल किया था कि "क्या ये खोजी पत्रकारिता का हिस्सा है? लोगों से ये पूछना कि किसे गिरप्तार किया जाना चाहिए?"
एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि चैनल को जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करना चाहिए.
एडिटर्स गिल्ड ने पुलिस से भी अपील की कि वो सुनिश्चित करे कि जांच से पत्रकारों को नुकसान न पहुंचे, और ये जांच मीडिया के अधिकारों को दबाने का एक जरिया न बन जाए.
8 अक्टूबर 2020 की शाम को मुंबई पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कुछ चैनल टीआरपी के हेरफेर मामले में जांच के दायरे में आए हैं. साथ ही कमिश्नर ने ये भी दावा किया कि ये लोग पैसे देकर टीआरपी खरीदने का काम कर रहे थे, लेकिन जो सबसे अहम था वो था तीन चैनलों का नाम.
इस मामले में मुंबई पुलिस कमिश्नर ने तीन चैनलों का नाम लिया, जिसमें सबसे बड़ा नाम रिपब्लिक टीवी का था. इसके अलावा फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा पर टीआरपी घोटाले का आरोप लगा.
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