Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019SC में चुनाव आयोग बोला-पार्टियों के फ्री गिफ्ट देने के वादे पर रोक नहीं लगा सकते

SC में चुनाव आयोग बोला-पार्टियों के फ्री गिफ्ट देने के वादे पर रोक नहीं लगा सकते

Election Commission कहा कि उसके पास तीन आधारों को छोड़कर किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने की शक्ति नहीं है

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Supreme Court</p></div>
i

Supreme Court

(फोटो: IANS)

advertisement

चुनाव आयोग (Election Commision) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चुनाव से पहले या बाद में मुफ्त उपहार देना एक राजनीतिक दल का नीतिगत फैसला है और वह राज्य की नीतियों और पार्टियों द्वारा लिए गए फैसलों को नियंत्रित नहीं कर सकता. आयोग ने एक हलफनामे में कहा,

चुनाव से पहले या बाद में किसी भी मुफ्त उपहार की पेशकश/वितरण संबंधित पार्टी का एक नीतिगत निर्णय है और क्या ऐसी नीतियां आर्थिक रूप से व्यवहार्य हैं या राज्य के आर्थिक स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव एक सवाल है, जिस पर राज्य के मतदाताओं द्वारा विचार और निर्णय लिया जाना है।"

चुनाव आयोग राज्य की नीतियों और निर्णयों को विनियमित नहीं कर सकता है जो जीतने वाली पार्टी द्वारा सरकार बनाते समय लिए जा सकते हैं. कानून में प्रावधानों को सक्षम किए बिना इस तरह की कार्रवाई, शक्तियों का अतिरेक होगा।"

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि उसके पास तीन आधारों को छोड़कर किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने की शक्ति नहीं है, जिसे शीर्ष अदालत ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बनाम समाज कल्याण संस्थान और अन्य (2002) के मामले में रेखांकित किया था.

ये आधार हैं - धोखाधड़ी और जालसाजी पर प्राप्त पंजीकरण, पार्टी की संविधान के प्रति आस्था, निष्ठा समाप्त होना और कोई अन्य समान आधार.

चुनाव आयोग ने कहा कि उसने कानून मंत्रालय को एक राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने और राजनीतिक दलों के पंजीकरण और पंजीकरण को विनियमित करने के लिए आवश्यक आदेश जारी करने की शक्ति का प्रयोग करने में सक्षम बनाने के लिए भी सिफारिशें की हैं.

हलफनामे में आगे कहा गया है :

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
"राजनीतिक दलों को चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से मुफ्त उपहार देने/वितरित करने से रोकने के परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति हो सकती है, जहां पार्टियां व्याख्यान में अपना चुनावी प्रदर्शन प्रदर्शित करने से पहले ही अपनी पहचान खो देंगी

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में हलफनामा दायर किया. जनहित याचिका में दावा किया गया है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त का वादा या वितरण एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की जड़ों को हिलाता है और चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता को खराब करता है.

(इनपुट IANS से)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT