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Electoral Bonds: राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली टॉप 30 कंपनियों में से 14 पर पड़ी थी रेड

Electoral Bonds: आंकड़ों से पता चलता है कि चंदा देने वाली टॉप 30 कंपनियों में से कम से कम 14 पर ED, CBI और IT ने कार्रवाई की थी.

हिमांशी दहिया & शादाब मोइज़ी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>चुनावी चंदा और सरकारी एजेंसी</p></div>
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चुनावी चंदा और सरकारी एजेंसी

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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Electoral Bonds Data: चुनाव आयोग (ECI) ने इलेक्टोरल बॉन्ड यानी चुनावी चंदे से जुड़ी सभी जानकारी सार्वजनिक कर दी है. और अब इसी डेटा से पता चला है कि 12 अप्रैल 2019 से 24 जनवरी 2024 तक चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली टॉप 30 कंपनियों में से कम से कम 14 को केंद्रीय या राज्य जांच एजेंसियों द्वारा कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.

आइए जानते हैं कि टॉप 30 में से उन 14 कंपनियों के चंदे और सरकारी एजेंसी के एक्शन के बारे में.

फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज: इस कंपनी ने 27 अक्टूबर 2020 और 5 अक्टूबर 2023 के बीच 1368 करोड़ रुपये का चंदा दिया. 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कंपनी और उसके अलग-अलग उप-वितरकों की 409 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की थी.

इसके अलावा 2019 में भी ईडी ने लॉट्री स्कैम मामले में पीएमएलए के तहत सैंटियागो मार्टिन और उनके सहयोगियों के कोयंबटूर जिले में स्थित इमारतों के साथ 61 फ्लैट, 82 खुले प्लॉट और 6 प्लॉट की 119.6 करोड़ रुपए के करीब की संपत्ति कुर्क की थी.

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मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड: अक्टूबर 2019 में, इनकम टैक्स विभाग ने हैदराबाद और दूसरे शहरों में तेलुगु टाइकून कृष्णा रेड्डी की मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) के कई कार्यालयों पर छापेमारी की थी. तब से, कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 966 करोड़ रुपये का दान दिया है.

हल्दिया एनर्जी लिमिटेड: इस कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 377 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. मार्च 2020 में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था.

सीबीआई की जांच से पहले 2019 के चुनावी महीने मई में करीब 15 करोड़ रुपए का चंदा दिया था. एक करोड़ रुपए का इलेक्टोरल बॉन्ड अक्टूबर 2019 में और 60 लाख का जनवरी 2020 में खरीदा. वहीं बाकी 350 करोड़ से ज्यादा के बॉन्ड मार्च 2020 में सीबीआई की जांच के बाद से लेकर जनवरी 2024 तक खरीदे गए थे.

वेदांता लिमिटेड: वेदांता ग्रुप की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) पर अगस्त 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी ने छापा मारा था. ग्रुप ने चुनावी बॉन्ड में सामूहिक रूप से 400 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.

यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल: हैदराबाद स्थित कॉर्पोरेट हॉस्पिटल चेन पर दिसंबर 2020 में आयकर (आईटी) अधिकारियों ने छापा मारा था. इसने अक्टूबर 2021 में चुनावी बॉन्ड में 162 करोड़ रुपये का दान दिया.

डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड: रियल्टी डेवलपर कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 130 करोड़ रुपये का दान दिया. भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर जनवरी 2019 में सीबीआई अधिकारियों ने यहां छापा मारा था. फिर, नवंबर 2023 में, ईडी ने रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक के खिलाफ जांच के सिलसिले में उसके गुरुग्राम कार्यालयों की तलाशी ली.

जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड: अप्रैल 2022 में ईडी ने विदेशी मुद्रा नियमों (फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन) के कथित उल्लंघन से जुड़े जांच के सिलसिले में जेएसपीएल के परिसरों की तलाशी ली. कंपनी ने चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 123 करोड़ रुपये का चंदा दिया.

चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड: कंस्ट्रक्शन फर्म चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड पर जुलाई 2021 में आयकर अधिकारियों ने छापा मारा था. जनवरी 2022 में इसने चुनावी बॉन्ड में 105 करोड़ रुपये का दान दिया था.

डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड: नवंबर 2023 में, आईटी अधिकारियों ने टैक्स चोरी के आरोप में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के डॉ. के नागेंद्र रेड्डी के यहां छापेमारी की. यह तेलंगाना की शिक्षा मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी के परिसरों की तलाशी से जुड़े एक बड़े ऑपरेशन का हिस्सा था. डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज ने तब तक चुनावी बॉन्ड के जरिए 80 करोड़ रुपये का दान दिया था.

आईएफबी एग्रो लिमिटेड: जून 2020 में, भारत के सबसे बड़े डिस्टिलर और स्पिरिट निर्माताओं में से एक, आईएफबी एग्रो ने आरोप लगाया कि जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीएसटी) की कोलकाता जोनल यूनिट ने कंपनी के नूरपुर प्लांट पर छापा मारा.

2023 में, कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि उसने 'सरकार से हमारे निर्देशों के अनुसार' चुनावी बॉन्ड में 40 करोड़ रुपये का दान दिया. चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, आईबीएफ एग्रो ने चुनावी बॉन्ड में कुल 92 करोड़ रुपये का दान दिया है. कंपनी तब संकट में थी जब 2020 में उसके नूरपुर प्लांट पर हमला हुआ था. पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हस्तक्षेप किया था और टीएमसी सरकार से राज्य में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने को कहा था.

एनसीसी लिमिटेड: हैदराबाद स्थित फर्म ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 60 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. टैक्स चोरी के आरोप में आयकर विभाग ने नवंबर 2022 में कंपनी पर छापेमारी की थी.

डिवि एस लेबोरेटरी लिमिटेड: हैदराबाद स्थित डिविज लेबोरेटरी को फरवरी 2019 में आईटी कार्रवाई का सामना करना पड़ा. कंपनी ने तब से चुनावी बॉन्ड के जरिए 55 करोड़ रुपये का चंदा दिया था.

यूनाइटेड फॉस्फोरस इंडिया लिमिटेड: आईटी विभाग ने जनवरी 2020 में यूपीएल के कार्यालयों और परिसरों पर छापेमारी की. कंपनी ने नवंबर 2022 में चुनावी बॉन्ड के जरिए 50 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.

अरबिंदो फार्मा: प्रवर्तन निदेशालय ने 10 नवंबर 2022 में कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में अरबिंदो फार्मा के निदेशक सरथ रेड्डी को गिरफ्तार किया था.

वहीं 15 चुनाव आयोग पर मौजूद डेटा के मुताबिक 15 नवंबर 2022 को यानी कि सरथ रेड्डी की गिरफ्तारी के बाद कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 5 करोड़ रुपए चंदा दिया. हालांकि इससे पहले कंपनी ने जुलाई 2022 में एक करोड़ 50 लाख रुपए और अप्रैल 2021 में चुनावी बॉन्ड के जरिए किसी पार्टी को 1.6 करोड़ रुपये का दान दिया था.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद SBI ने 12 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े सभी डेटा को चुनाव आयोग को सौंप दिया था. इसके बाद अब भारतीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन से एक दिन पहले, 14 मार्च को ही सारी जानकारी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी है.

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