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राजनीतिक दलों को चंदे का चुनाव बॉन्ड का खाका तैयार हो गया है. सरकार ने चंदे की प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए ऐसे बॉन्ड लाने का ऐलान किया था. खबरें हैं कि सरकार ने चुनावी बॉन्ड की वैधता को 15 दिन रखने का प्रस्ताव किया है. दलील यही है कि कम अवधि से बॉन्ड के दुरुपयोग की आशंका कम हो जाएगी.
चुनावी बॉन्ड के लिये दिशा निर्देश करीब-करीब तैयार कर लिये गये हैं. वित्त मंत्रालय इन्हें अंतिम रूप देने में लगा है. पिछले साल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट में इस तरह के बॉन्ड का प्रस्ताव पेश किया था.
चुनावी बॉन्ड एक प्रकार के धारक बॉन्ड होंगे. जिस किसी के भी पास ये बॉन्ड होंगे वो इन्हें एक निर्धारित खाते में जमा कराने के बाद कैश करा सकता है. हालांकि यह काम तय समय के भीतर करना होगा.
अधिकारी ने बताया कि बॉन्ड को कम अवधि के लिये वैध रखे जाने के पीछे मकसद इसके दुरुपयोग को रोकना है. साथ ही राजनीतिक दलों को वित्त उपलब्ध कराने में कालेधन के उपयोग पर अंकुश रखना है.
अधिकारी का कहना है कि चुनावी बॉन्ड के लिये नियमों को जल्द ही जारी कर दिया जायेगा और इस तरह के बॉन्ड से जुडी कुछ अन्य जानकारी इस काम के लिये प्राधिकृत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तरफ से जारी की जाएगी.
वित्त मंत्री ने बजट में चुनावी बॉन्ड की घोषणा करते हुये कहा था, भारत में राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया को साफ सुथरा बनाने की आवश्यकता है. चंदा देने वाले राजनीतिक दलों को चेक के जरिये या अन्य पारदर्शी तरीकों से दान देने से कतराते हैं क्योंकि वह अपनी पहचान नहीं बताना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि किसी एक राजनीतिक दल को चंदा देने पर उनकी पहचान सार्वजनिक होने का अंजाम उन्हें भुगतना पड़ सकता है.
वित्त मंत्री ने तब कहा था कि सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श कर वह चुनावी बॉन्ड के लिये नियम तैयार करेंगे.
(इनपुटः PTI से)
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