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बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्चे बुखार से मर रहे हैं या सिस्टम की नाकामी से? ये सवाल अब बार-बार उठने लगा है. ये सवाल इसलिए क्योंकि जिस अस्पताल में सैकड़ों बच्चों का इलाज हो रहा है, जहां सरकार हर सुविधा का वादा कर रही है वहां गंदगी हर वादों और दावों को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही है. 40 से 42 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में बच्चे बिना AC गर्म हवा फेकते पंखों के नीचे पड़े हैं.
बता दें, पिछले 20 दिनों में मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 100 बच्चों की चमकी बुखार से मौत हो चुकी है. साथ ही सैकड़ों बच्चे इलाज के लिए भर्ती हैं.
अस्पताल का वार्ड नंबर दो जहां आईसीयू से ठीक होने के बाद बच्चों को रखा जाता है. कहने को उसे ऑब्जरवेशन रूम भी कह सकते हैं. लेकिन यहां अलग ही नजारा है. जमीन से लेकर बेड पर बच्चे ही बच्चे. कई बेड पर एक साथ दो या तीन बच्चों को रखा गया है. ऊपर से गर्मी और उनका बुखार से तपता बदन.
बच्चों के वार्ड के पीछे कई महीनों से जमा पानी, कूड़ा, पान और गुटखे की गंदगी. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अस्पताल में साफ-सफाई को लेकर क्या इंतजाम हैं.
अगर वार्ड्स के अंदर की बात करें तो सफाई के नाम पर वार्ड में पूरे दिन में दो बार झाड़ू और पोछा लगता है. लेकिन हर वक्त आते-जाते लोगों के साथ आती गंदगी के लिए क्या इतना काफी है?
बिहार में ‘एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित तीन और बच्चों की बुधवार शाम से अब तक मौत हो चुकी है, जिसके बाद मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ कर 118 हो गई है.
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