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इस साल के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में भारत सबसे नीचे के पांच देशों में शामिल हो चुका है. 2016 के एनवायरन्मेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में यह 141वें पायदान पर था. लेकिन 2018 में यह 36 अंक गिर कर 177 वें स्थान पर पहुंच गया.
एनवायरन्मेंटल हेल्थ के मामले में यह फिसड्डी देशों में शामिल हो गया है. एयर क्वालिटी के मामले में 180 देशों की सूची में भारत 178वें नंबर पर है.
एनवायरन्मेंट हेल्थ पॉलिसी और इसकी वजह से हुई मौतों के कारण भारत इस सूचकांक में मौजूद बिल्कुल नीचे के देशों में शामिल हो गया है. येल और कोलंबिया यूनिवर्सिटी की ओर से पर्यावरण परफॉरमेंस इंडेक्स जारी किया जाता है. डावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से परे एक कार्यक्रम में यह सूचकांक जारी किया गया.
एनवायरन्मेंटल परफॉरमेंस इंडेक्स में स्विट्जरलैंड पहले नंबर पर है. इसके बाद फ्रांस, डेनमार्क, माल्टा और स्वीडन का नंबर है. सूचकांक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पब्लिक हेल्थ के लिए खराब पर्यावरण सबसे बड़ा खतरा है.
भारत में सरकार की ओर ठोस ईंधन और पराली जलाने के खिलाफ सख्ती के बावजूद प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं हो सकता है. वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन मानकों को कड़ा करने पर भी देश में वायु प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ है. 180 देशों के लिए बनाए गए एनवायरन्मेंटल परफॉरमेंस इंडेक्स में 24 परफॉरमेंस इंडिकेटर्स बनाए हैं. दस कैटगरी के लिए ये 24 परफॉरमेंस बनाए गए हैं. चीन में भी पर्यावरण की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है लेकिन रैंकिंग में 12वें स्थान पर है. दोनों देशों में आर्थिक गतिविधियों की वजह से पॉल्यूशन का स्तर बढ़ा है.
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