advertisement
- ईवीएम एक्सपर्ट शुजा का दावा- 2014 के लोकसभा चुनावों में गड़बड़ी हुई और EVM से छेड़छाड़ की गई थी
- ईवीएम एक्सपर्ट का दावा- गोपीनाथ मुंडे की हत्या की गई, क्योंकि उन्हें EVM में छेड़छाड़ की जानकारी थी
- शुजा के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने EVM हैक करने के लिए बीजेपी को कम फ्रीक्वेंसी के सिग्नल उपलब्ध कराए
- सभी राजनीतिक दलों को दिया था न्योता, सिर्फ कपिल सिब्बल मौजूद
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम के बारे में अमेरिकी ईवीएम एक्सपर्ट सैयद शुजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई दावे किए. उन्होंने दावा किया कि साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में ईवीएम टेंपरिंग कर भारी गड़बड़ी हुई थी. इसके अलावा एक्सपर्ट ने गौरी लंकेश हत्याकांड और गोपीनाथ मुंडे की मौत मामले में भी 'खुलासे' किए.
भारत में इस्तेमाल की गई ईवीएम को डिजाइन करने वाले अमेरिका के एक साइबर एक्सपर्ट ने दावा किया था कि वो साबित कर सकते हैं कि ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ मुमकिन है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
एक्सपर्ट शुजा ने दावा किया है कि साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने ईवीएम हैकिंग के चलते 201 सीटें गंवाई थीं.
एक्सपर्ट ने एक और बड़ा दावा किया है कि पत्रकार गौरी लंकेश उसकी स्टोरी को चलाने के लिए तैयार हो गई थीं, लेकिन इसके बाद उनकी हत्या कर दी गई.
ईवीएम एक्सपर्ट ने दावा किया कि अगर बीजेपी के लोगों पर नजर नहीं रखी जाती, तो बीजेपी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी ईवीएम हैक करने की कोशिश में थी. इसके बाद ये लोग इन राज्यों में भी सरकार बना लेते.
एक्सपर्ट ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि वो एक फेमस इंडियन जर्नलिस्ट से मिला था और उसे पूरी कहानी बताई थी. शुजा ने दावा किया है कि उसे 12 राजनीतिक पार्टियों की तरफ से ईवीएम हैक करने के बारे में पूछा गया.
शुजा ने कहा कि उन्हें और उनकी टीम को ईसीआईएल की तरफ से निर्देश दिए गए थे कि पता कीजिए कि ईवीएम हैक हो सकती है या नहीं. कहा गया था, पता करो ऐसा कैसे होता है. बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे इसके बारे में जानते थे, इसीलिए इसके बाद उन्हें मार दिया गया.
शुजा ने दावा किया है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में गड़बड़ हुई थी. उन्होंने कहा, ''यूपी, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़, सभी जगह धोखाधड़ी हुई. ईवीएम को लो फ्रीक्वेंसी सिग्नल से बाधित किया जा सकता है.''
एक्सपर्ट ने अपने बयान में एक बड़ा खुलासा किया है. एक्सपर्ट का कहना है कि जब वो और उनकी टीम बीजेपी के नेताओं से मिलने के लिए हैदराबाद गई, तो उनकी टीम पर गोलियां चलाई गईं, जिसमें शुजा बच गए.
शुजा ने दावा किया है कि वह उस टीम का हिस्सा थे, जिसने ईवीएम डिजाइन की थी. उनकी डिजाइन की गई ईवीएम 2014 के लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल हुई थी. उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्हें लगा कि ईवीएम मशीन के साथ कुछ गड़बड़ हुई है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस डेमो के लिए चुनाव आयोग को भी न्योता दिया गया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई भी यहां नहीं पहुंचा है. इसके अलावा राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को भी बुलाया गया था, जिनमें से केवल कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल यहां पहुंचे हैं.
भारतीय मूल के अमेरिकी टेक एक्सपर्ट सैय्यद शुजा ईवीएम हैकिंग पर डेमो देंगे. उन्होंने 2009 से लेकर 2014 तक ECIL के लिए काम किया था. कुछ ही देर में ईवीएम को हैक करने की कोशिश करेंगे, वो प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद नहीं है, क्योंकि ऐसा दावा है कि चार दिन पहले उन पर हमला हुआ था.
लंदन के टेक एक्सपर्ट्स ने चुनाव आयोग का जिक्र कर कहा है कि आयोग दावा करता है ईवीएम को कोई भी हैक नहीं कर सकता है. लेकिन हम यहां लाइव डेमो देकर बताएंगे कि कैसे इसे हैक किया जा सकता है.
अब से कुछ ही देर में लंदन से सीधे देखिए ईवीएम का टेस्ट, क्या ईवीएम सुरक्षा की कसौटी पर खरी उतर पाएगी या फिर उसे हैक कर सभी दावों की खुलेगी पोल, जुड़े रहिए क्विंट के साथ
लंदन में ईवीएम हैकिंग पर 5:30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली है. इसमें यूएस बेस्ड टेक एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम को हैक किया जा सकता है. देखिए क्या सच में ऐसा मुमकिन है?
चुनाव आयोग ने जून 2017 में एक हैकथॉन भी आयोजित किया था, जहां ईवीएम पर संदेह जताने वालों को चुनौती दी गई कि वे मशीन को हैक करके दिखाएं. लेकिन इसमें केवल दो दलों- एनसीपी और सीपीएम ने भाग लिया. कोई भी ये चुनौती पूरी नहीं कर पाया.
AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने दावा किया था कि ईवीएम के मदरबोर्ड को बदलकर और एक कोड का इस्तेमाल कर वोटों को बदलने के लिए उसमें हेरफेर किया जा सकता है. उन्होंने एक प्रोटोटाइप के साथ इसे दिखाया भी था. चुनाव आयोग ने उनके दावों को खारिज कर दिया था.
बहुत सारे दावों के बावजूद ईवीएम से छेड़छाड़ कभी साबित नहीं हुई. कम से कम चुनाव आयोग की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों पर तो दावे साबित नहीं हुए. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये मुमकिन नहीं है. हमें बस इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या 21 जनवरी को लंदन में होने वाले प्रेजेंटेशन में सच्चाई सामने आएगी?
ये दावे कितने भरोसेमंद हैं? क्या हमें वाकई इन संभावनाओं के बारे में चिंता करनी चाहिए? क्या चुनाव आयोग ने इस बारे में कुछ किया है? ईवीएम छेड़छाड़ के ज्यादातर आरोप अस्पष्ट हैं, और दावों को मजबूती देने लिए बहुत ज्यादा सबूत नहीं हैं.
चुनाव आयोग ने जोर देकर कहा है कि ईवीएम को हैक नहीं किया जा सकता है. ईवीएम से दूर बैठे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है, क्योंकि इसमें ऐसा कोई भी नेटवर्किंग उपकरण मौजूद नहीं हैं, जिसे ब्लूटूथ या वाई-फाई के जरिए एक्सेस किया जा सके.
इसलिए ईवीएम से छेड़छाड़ करने के लिए मशीन को खोलने की जरूरत पड़ेगी, जिसे चुनाव आयोग की इजाजत के बिना नहीं किया जा सकता. चुनाव आयोग ने इस बात का भी हवाला दिया है कि ईवीएम को रैंडमाइज करने के लिए की गई कोशिशों का इस्तेमाल किस निर्वाचन क्षेत्र के लिए किया जाता है. साथ ही आयोग ने कहा है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी ईवीएम के साथ वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल VVPAT का इस्तेमाल किया जाएगा.
भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ के सवाल 2009 से उठते रहे हैं, जब बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आरोप लगाया था कि ईवीएम सुरक्षित नहीं हैं. मौजूदा बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने 2010 में इस विषय पर एक पूरी किताब लिखी, जिसे लेकर आडवाणी ने कहा था कि जर्मनी जैसे कई देशों ने ईवीएम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है.
2014 में केंद्र में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद, विपक्षी दलों ने नियमित अंतराल पर ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाते रहे हैं.
इसका सबसे हालिया उदाहरण तब था जब AAP और कांग्रेस ने राज्य चुनावों के दौरान ईवीएम के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की कोशिशों के बारे में चिंता जताई थी. नवंबर 2018 में मध्य प्रदेश में चुनावों के दौरान 3 फीसदी ईवीएम में शिकायतें पाई गईं. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनावों में ईवीएम से जुड़ी संदिग्ध घटनाओं की खबरें आईं.
कांग्रेस ने 2017 में गुजरात चुनाव के दौरान चुनाव आयोग से ब्लूटूथ के जरिए ईवीएम की संभावित हैकिंग की शिकायत की थी. चुनाव आयोग ने एक जांच के बाद इस शिकायत को खारिज कर दिया था. उसी साल, बीएसपी ने भी उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ का दावा किया था, जबकि आम आदमी पार्टी ने पंजाब चुनाव में इस बात का आरोप लगाया था.