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बिपिन रावत का बयान गलत, हम देश के लिए करते हैं काम- पूर्व नेवी चीफ

एडमिरल रामदास ने आर्मी चीफ के बयान को बताया गलत

क्विंट हिंदी
भारत
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एडमिरल रामदास ने आर्मी चीफ के बयान को बताया गलत
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एडमिरल रामदास ने आर्मी चीफ के बयान को बताया गलत
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान पर विपक्षी दलों के नेताओं का कटाक्ष अभी थमा भी नहीं था कि डिफेंस के एक पूर्व चीफ ने भी उनके बयान को गलत बता दिया है. पूर्व नेवी चीफ एडमिरल एल रामदास ने कहा कि जनरल बिपिन रावत का बयान गलत है. उन्हें कई दशकों से चले आ रहे सेना के सिद्धांतों को फॉलो करना चाहिए था.

पूर्व नेवी चीफ ने कहा कि डिफेंस की तीनों सेनाओं का इंटरनल कोड यही कहता है कि उन्हें हमेशा न्यूट्रल होकर ही काम करना है. उन्हें किसी के भी पक्ष में नहीं बोलना. ये नियम तीनों सेनाओं के लिए कई दशकों से चला आ रहा है. एडमिरल एल रामदास ने कहा-

“ये नियम काफी साफ है कि हम देश के लिए अपनी सेवा देते हैं न कि किसी राजनीतिक दल के लिए. कोई भी राजनीतिक बयान जैसा आज हमने सुना वो सेना में कार्यरत किसी भी व्यक्ति के लिए बिल्कुल गलत है. चाहे वो किसी बड़े स्तर का अधिकारी हो या फिर मध्यम स्तर का, ये सही नहीं है.”
एडमिरल एल रामदास, पूर्व नेवी चीफ
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क्या बोले थे आर्मी चीफ

कुछ ही दिनों बाद रिटायर हो रहे आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने देशभर में चल रहे प्रदर्शनों को लेकर एक बयान दिया था. जिसमें उन्होंने छात्रों का भी जिक्र किया. आर्मी चीफ ने 26 दिसंबर को कहा कि लीडर वो नहीं होते जो गलत दिशा में लीडरशिप करते हैं. उन्होंने कहा-

‘जैसा कि हम बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी और कॉलेज में देख रहे हैं, छात्र जिस तरह से आगजनी और हिंसा करने के लिए भीड़ का नेतृत्व कर रहे हैं, ये लीडरशिप नहीं होता है.’
आर्मी चीफ

कई लोगों ने उठाए सवाल

आर्मी चीफ रावत के बयान को लेकर राजनीतिक जगत में भी कई सवाल खड़े हुए. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी और सीपीआई(एम) ने उनके बयान पर सवाल उठाए. ओवैसी ने कहा कि 'अपने पद की सीमाएं जानना ही नेतृत्व होता है. यह सिविलियन सुप्रीमेसी के विचार और आप जिस इंस्टीट्यूशन का नेतृत्व कर रहे हो उसकी प्रतिष्ठा को समझने से संबंधित है.’

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि कब से आर्मी चीफ आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने लगे. ये नागरिक-सैन्य संबंधों को कमजोर करता है. उन्होंने कहा, 'कब से आर्मी चीफ देश के आंतरिक मामलों के बारे में टिप्पणी करना शुरू कर दिया है. ये नागरिक-सैन्य संबंधों को कमजोर करता है जिसकी आधारशिला ये है कि आर्म्ड फोर्सेज घरेलू राजनीति में न तो टिप्पणी करते हैं और न ही हस्तक्षेप करते हैं.'

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