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यह कहना था सरताज अखलाक का, जिसके पिता की गोमांस खाने की अफवाह के चलते पिछले सितंबर में दादरी में भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी. कथित तौर पर मांस खाने की वजह से बिसाहड़ा गांव के अखलाक को भीड़ ने क्रूर तरीके से मार डाला था.
ई-मेल के जरिए द क्विंट को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सरताज ने कहा कि वे उनके पिता की हत्या की जांच से संतुष्ट नहीं हैं. हालांकि उन्होंने सीबीआई जांच की मांग नहीं की.
उन्होंने कहा कि मुख्य षड्यंत्रकारी अब भी बाहर हैं, पुलिस को उन्हें पकड़ने की कोशिश करनी चाहिए. उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीड़ित परिवार द्वारा बताए गए 17 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया है.
भारतीय वायुसेना में टेक्नीशियन सरताज इस समय नई दिल्ली के कैंट इलाके में अपने सात लोगों के परिवार के साथ रह रहे हैं. उनका भाई दानिश, जिसे अपने पिता के साथ भीड़ की क्रूरता का सामना करना पड़ा था, अभी स्वस्थ नहीं हो सका है. दानिश के चेहरे का दायां हिस्सा उस घटना की चोटों के कारण लकवाग्रस्त हो गया है.
घटना के समय सरताज चेन्नई में पोस्टेड था. घटना की रात 11 बजे जब उसे अपने परिवार पर हुए हमले की जानकारी मिली, तो वह सन्न रह गया था. जब उसने अपने पड़ोसियों को फोन किया, तो किसी ने उसका फोन नहीं उठाया था.
आश्चर्यजनक रूप से पुलिस ने मंदिर से घोषणा करने वाले पुजारी से इस मामले में पूछताछ करने की जरूरत नहीं समझी, जबकि यह साफ है कि उससे पूछताछ करने से कई सवालों के जवाब मिल जाते.
और भी चौंकाने वाली बात यह है कि अब किसी को नहीं पता कि पुजारी कहां है. सवाल यह है कि क्या पुलिस षड्यंत्रकारियों को बचाना चाह रही है?
हमारे परिवार का कभी किसी से झगड़ा नहीं हुआ. पड़ोसियों से हमारे रिश्ते दोस्ताना थे. हमें आज तक समझ नहीं आया कि हम पर हमला क्यों किया गया.
इस सवाल पर सरताज कहते हैं, “दिल का एक कोना खाली हो गया है, जिसे भरना मुश्किल है”, पर सरताज का मानना है कि बुराई पर अच्छाई की जीत होती है.
सरताज आज भी अपने बचपन के दोस्तों के संपर्क में हैं. वे कहते हैं कि उनके और दोस्तों के बीच अब भी कुछ नहीं बदला. उनके ज्यादातर दोस्त हिंदू हैं. वे सब चाहते हैं कि अखलाक का परिवार वापस आए. पर सरताज को अभी न्याय का इंतजार है.
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