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“क्या वे कभी गोधरा, नेल्ली या 1993 के मुंबई धमाकों को भूल सकेंगे? जब भी कोई बड़ी घटना होगी, लोग उसके बारे में बातें करेंगे,” ऐसा कहते हैं असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई.
द क्विंट से एक्सक्लूसिव बातचीत में जब गोगोई से पूछा गया कि वे लगातार गुप्त हत्याओं का मामला क्यों उठा रहे हैं, तो उन्होंने यही जवाब दिया.
1998 से 2001 के बीच लगभग 850 लोगों को अज्ञात बंदूकधारियों ने मार डाला. जो लोग मारे गए, वे उल्फा उग्रवादियों से सुहानुभूति रखने वाले लोगों के दोस्त थे, उनके रिश्तेदार थे. द असम गण परिषद (AGP) उस समय सत्ता में थी. तरुण गोगोई आरोप लगाते हैं कि सूबे की AGP और केंद्र की BJP इन न्यायेतर हत्याओं के लिए जिम्मेदार है.
तीन बार मुख्यमंत्री रहे गोगोई बीजेपी पर असम में धार्मिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाते हैं, “उनके हिसाब से तो सारे मुसलमान विदेशी हैं,”
तरुण गोगोई बीजेपी पर मुस्लिमों को बांग्लादेशी बताकर उन्हें निशाना बनाने का आरोप लगाते हैं. सूबे की 34 फीसदी जनसंख्या मुसलमान है. गोगोई इसी राजनीतिक निर्वाचन क्षेत्र को प्रभावित करना चाहते हैं.
हालांकि मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी परेशानी हिमांता बिस्वा सरमा जैसे पूर्व कांग्रेसी रहे हैं, जो इस समय बीजेपी में हैं. वे शांत दिखने की कोशिश करते हैं.
ओपिनियन पोल की मानें, तो आने वाले चुनावों में कांग्रेस को 35 से 40 सीटें मिलेंगीं, जो मौजूदा 68 से काफी कम हैं. पर शायद गोगोई कुछ और मानकर चल रहे हैं और चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद कर रहे हैं.
तरुण गोगोई कहते हैं, “मैं तो हमेशा से कहता आया हूं कि हमें पूर्ण बहुमत मिलेगा.”
असम में आने वाले चुनावों के मद्देनजर बीजेपी अपने एजेंडा पर काम कर रही है, जबकि गोगोई अपने हिसाब से वोट जुटाने की कोशिश में हैं. पर जनता किसे चुनेगी, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.
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