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बजट का सबसे ज्यादा इंतजार अगर किसी को है, तो वो है किसान और एग्रीकल्चर सेक्टर को. इसकी वजह भी छिपी नहीं है. पिछले एक साल में जिस तरह कर्ज, फसल के सही दाम न मिलने से लागत वसूल नहीं कर पाने की वजह से किसान गुस्से, परेशानी और झुंझलाहट में नजर आए, वो सबने देखा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्तमंत्री अरुण जेटली से लेकर सरकार के अंदर और बाहर सभी ने बार-बार कहा है कि किसानों की परेशानी दूर करना उनके एजेंडे में सबसे ऊपर है... बजट में उन्हीं वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी है.
कृषि की अहमियत कितनी ज्यादा है, इसका अंदाज इसी से लगाइए कि देश के मजदूरों का 49 परसेंट और जीडीपी का 17 परसेंट इसी सेक्टर से आता है. इसलिए इस सेक्टर को जितना ज्यादा मिलेगा, उतना वो चुनाव और आर्थिक, दोनों लिहाज से सरकार के लिए बहुत ज्यादा फायदे का होगा.
बजट में जेटली जी को क्या-क्या करना चाहिए, इसके लिए स्वराज इंडिया समेत किसानों के 10 संगठनों ने मोदी सरकार से किसानों की कर्जमाफी के लिए 2 लाख करोड़ के पैकेज की मांग की है. स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव के मुताबिक, राज्य सरकारें भी इतनी ही रकम मिलाएं, ताकि देशभर के किसानों को सही मायनों में राहत दिलाई जा सके.
योगेंद्र यादव और दूसरे कृषि 10 संगठनों ने बजट के लिए ग्रीन पेपर जारी किया है, जिसमें 10 मांगें रखी गई हैं.
किसानों को राहत देना मोदी सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है. इसलिए सभी को उम्मीद है कि अरुण जेटली इस बजट में किसानों के लिए बड़ी योजनाओं का ऐलान जरूर करेंगे. इनमें क्या-क्या ऐलान मुमकिन है.
लंबी अवधि और छोटी अवधि दोनों में किसानों को सही वक्त मौसम और जमीन के मुताबिक सही टेक्नोलॉजी और फसल के बारे में जानकारी देने के लिए सिस्टम बनाने का ऐलान मुमकिन.
गांवों में किसानों के गुस्से को कम करने के लिए वित्तमंत्री से ऐसा कोई तरीका पेश करने की उम्मीद की जा रही है, जिससे फसल के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे जाने पर किसानों को नुकसान न उठाना पड़े.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया है कि उनकी सरकार 2022 तक किसानों की कमाई को दोगुना कर देगी. लेकिन ये कैसे होगा, सबको इसके तरीके का इंतजार है.
बजट में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर सरकार का फोकस रहेगा. इसके तहत फसल का नुकसान होने पर किसानों को भरपाई और खेती से आय में स्थिरता सुनिश्चित करना शामिल है.
सरकार का इरादा है कि किसानों को अतिरिक्त आय के तरीकों में मदद की जाए. उम्मीद की जा रही है कि शहद क्रांति योजना का ऐलान हो सकता है. इसमें किसानों को मधुमक्खी पालन में सहायता मुमकिन है. इसके साथ ही वित्तमंत्री नई एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट पॉलिसी भी पेश कर सकते हैं, ताकि देश में फसल के दामों में गिरावट आने पर किसानों को एक्सपोर्ट का बाजार मिल सके.
आर्थिक सर्वे में एक रोचक बात सामने आई है कि एग्रीकल्चर में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. बजट 2018 में इसे और बढ़ावा देने के लिए कोई पॉलिसी सामने लाई जा सकती है. आर्थिक सर्वे के मुताबिक, जिस तरह पुरुष गांवों से शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं, उससे महिलाओं की भूमिका बढ़ाने का उपाय किया जा सकता है.
किसानों को सिंचाई के लिए आसानी से पानी मिल सके, इसके लिए सरकार भूजल परियोजना के लिए बड़ी रकम दी जा सकती है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, पिछले बजट में घोषित अटल भूजल योजना को 6000 करोड़ रुपये दिए जाने के आसार हैं. इसी योजना को वर्ल्ड बैंक भी 3000 करोड़ मंजूर कर चुका है.
भूजल संरक्षण की टेक्नीक पर खर्च बढ़ाया जाएगा, ताकि उसे सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके. पिछले कुछ सालों से भूमि का जलस्तर तेजी से गिरा है. इस योजना में गंगा और दूसरी नदियों के पानी का सही इस्तेमाल करके जल स्तर बढ़ाने का तरीका निकाला जाएगा.
गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश के 78 जिलों के 193 ब्लॉक और 8300 ग्राम पंचायत में लागू करने की तैयारी की जा रही है.
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