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भारत में पहली बार 50 हजार महिलाओं को मिला तापमान बीमा, क्या है ये योजना?

तापमान बीमा योजना के तहत भारत को कुल तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>भारत में पहली बार दिया गया तापमान बीमा, 50 हजार महिला लाभार्थी</p></div>
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भारत में पहली बार दिया गया तापमान बीमा, 50 हजार महिला लाभार्थी

फोटो: क्विंट हिंदी

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भारत में 50 हजार स्वरोजगार वाली महिलाओं के एक समूह को 'तापमान-बीमा' (novel payout) के तहत भुगतान किया गया है. भारत में पहली बार ऐसा भुगतान हुआ है. तापमान बीमा एक ऐसी योजना है, जिसके तहत उन महिलाओं को भुगतान किया जाता है, जिनका काम अत्यधिक गर्मी (Extreme Heat) के कारण प्रभावित हुआ है.

30 करोड़ रुपए का हुआ भुगतान

18 मई से 25 मई के बीच जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया तो राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों की महिलाओं को 400-400 रुपए का भुगतान किया गया. वहीं इसके अलावा लगभग, 92% महिलाओं को करीब 1,600 रुपये तक का अतिरिक्त भुगतान किया गया है, जो स्थानीय परिस्थितियों और गर्मी की अवधि के आधार पर तय होता है.

रॉयटर्स के रिपोर्ट के मुताबिक, यह योजना अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी संस्था ‘क्लाइमेट रेजिलिएंस फॉर ऑल' (CRA) ने भारत में महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था ‘सेल्फ-इंप्लॉयड विमिंज एसोसिएशन' (SEWA) के साथ मिलकर शुरू की है. CRA की सीईओ कैथी बॉघमैन मैकलियोड ने बताया कि, यह पहली बार है कि बीमा भुगतान और सीधे नकद भुगतान को भीषण गर्मी के समय महिलाओं की आय में वृद्धि के लिए इकट्ठा किया गया है."

बता दें, तापमान बीमा योजना स्विट्जरलैंड की कंपनी स्विस री और भारत के ICICI लोंबार्ड के संयुक्त प्रयास से चलाई गई थी. यह संगठन दुनियाभर में इश्योरेंस फिल्ड की बड़ी कंपनियों और सरकारों के साथ मिलकर काम करता है.

तापमान बीमा योजना के तहत भारत में कुल तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.

भीषण गर्मी में कमजोर वर्ग को मदद

नीति निर्माताओं द्वारा बीमा को एक ऐसे साधन के रूप में देखा जा रहा है, जो मौसम आपदाओं से प्रभावित कमजोर समुदायों को जल्द से जल्द वित्तीय सहायता प्रदान करने में मदद करता है. यह योजना दूसरे देशों में पहले से ही संचालित हैं. इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाओं के वक्त कमजोर समुदायों को बुनियादी चीजों के आभाव से बचाना है.

UNDP की रिपोर्ट के मुताबिक, बदलते मौसम से होने वाले आपदा से बचने की सबसे कम तैयारी विकासशील देशों में ही है. अगर वर्गों की बात करें तो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं को है क्योंकि दुनियाभर की गरीब आबादी में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है.

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