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5 करोड़ फेसबुक यूजर्स का डेटा चोरी हुआ, आरोप ब्रिटिश डेटा एनालिटिक्स फर्म ‘कैंब्रिज एनालिटिका’पर है. ये कंपनी 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को सर्विस दे चुकी है. लेकिन इसपर बीजेपी-कांग्रेस के बीच क्यों बवाल मचा है? कैंब्रिज एनालिटिका ने अपनी वेबसाइट पर 2010 के बिहार चुनाव के लिए क्या दावा किया है?
देश में ‘कैंब्रिज एनालिटिका’ की सहयोगी कंपनी ओवलेने बिजनेस इंटेलिजेंस है, जिसके चीफ हैं जेडीयू नेता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी. कैंब्रिज एनालिटिका पर आरोप लगने के कुछ घंटों तक ओवलेने बिजनेस इंटेलिजेंस की वेबसाइट काम कर रही थी, जिसपर क्लाइंट के तौर पर बीजेपी, कांग्रेस और जेडीयू का जिक्र था. फिलहाल, वेबसाइट ब्लॉक कर दी गई है.
यहां तक सबकुछ ठीक है. असल विवाद‘कैंब्रिज एनालिटिका’ के काम करने के तरीके पर है. वैसे कंपनी का मकसद खुले तौर पर तो कंज्यूमर रिसर्च, एडवरटाइजिंग और डेटा से जुड़ी सर्विस पॉलिटिकल क्लाइंट और कॉरपोरेट क्लाइंट को देना है.
अब बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. सबसे पहले कैंब्रिज एनालिटिका के साथ संबंधों के आरोप लेकर आए, सत्ताधारी पार्टी के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद. कांग्रेस पर मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए आरोप लगाया कि पार्टी साल 2019 के चुनाव के लिए इस फर्म के संपर्क में थी. लगे हाथ रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी से ये भी पूछ लिया कि क्या हालिया गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में इस फर्म की सेवाएं ली गई हैं या नहीं?
कानून मंत्री का कहना है, फेसबुक और उसके सीईओ मार्क जकरबर्ग साफ साफ जान लें, भारत में अगर डेटा चोरी की शिकायतें मिलीं या फिर भारत की चुनाव प्रक्रिया में दखल देने की बात सामने आई तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा.
कांग्रेस ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया है. साथ ही बीजेपी को झूठी खबर बनाने वाली फैक्ट्री भी बताया है. सुरजेवाला ने कहा कि पीएम मोदी देश के पहले और एकमात्र प्रधानमंत्री हैं जो फेसबुक के ऑफिस पहुंच गए थे. कांग्रेस ने ये भी दावा किया की बीजेपी ही कैंब्रिज एनालिटिका की क्लाइंट है. कांग्रेस ने कहा कि 2010 के बिहार चुनाव में बीजेपी ने फर्म की सर्विस ली थी.
कैंब्रिज एनालिटिका की वेबसाइट पर फिलहाल कुल 16 केस स्टडी दी हुई है. 8वें नंबर भारत का नाम है. लिखा गया है कि 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में फर्म ने इलेक्टोरल एनालिसिस किया था. कैंब्रिज एनालिटिका का दावा है कि जहां-जहां टारगेट किया गया उसमें से 90 फीसदी सीट पर जीत मिली थी. बता दें कि 2010 के चुनाव में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को जीत मिली थी. जेडीयू को 115 सीटें और बीजेपी को 91 सीटें हासिल हुईं थी.
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