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प्राइवेसी पर फेसबुक फिर कटघरे में,विप्रो से खंगलवाए यूजर्स के डेटा

फेसबुक ने विप्रो को एक लेबलिंग प्रोजेक्ट दिया था, जिसके तहत यूजर्स के लाखों पोस्ट, फोटो और डेटा खंगाले गए थे

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भारत
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फेसबुक पर एक और आरोप 
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फेसबुक पर एक और आरोप 
फोटो:iStock

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फेसबुक एक बार फिर यूजर्स की प्राइवेसी में सेंध लगाने के आरोपों से घिर गई है. फेसबुक ने बेंगलुरू में विप्रो की एक टीम से लेबलिंग का काम करवाया था, जिसके तहत 260 कांट्रेक्ट कर्मचारियों ने यूजर्स के 2014 से पोस्ट किए गए लाखों फोटो, स्टेटस अपडेट और फोटो खंगाले थे.

फेसबुक इस प्रोजेक्ट के तहत जानना थी कि इसकी लगातार बदलती सर्विस का इस्तेमाल करने वाले लोग इस पर किस तरह की चीजें पोस्ट कर रहे हैं. फेसबुक को इससे कई फायदे हो सकते हैं. कंपनी को इससे अपनी सर्विस के नए फीचर डेवलप करने में मदद मिल सकती है. इससे उसकी सर्विस का इस्तेमाल और कमाई बढ़ सकती है.

विप्रो में कई महीनों तक चले इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले कई कर्मचारियों ने रॉयटर्स को इसकी जानकारी दी. फेसबुक ने इस प्रोजेक्ट की तसदीक है. हालांकि विप्रो ने सीधे कोई जवाब नहीं दिया. उसने सारे सवाल फेसबुक को भेज दिए.

विप्रो में चला फेसबुक का प्रोजेक्ट नया विवाद खड़ा कर सकता है

विप्रो में चला प्रोजेक्ट दुनिया भर फैले 200 कंटेंट लेबलिंग प्रोजेक्टस में से एक था, जिनमें हजारों लोग काम करते हैं. ज्यादातर प्रोजेक्ट वैसे सॉफ्टवेयर को ट्रेनिंग से जुड़े थे जो यह तय करते हैं यूजर के न्यूज फीड में क्या दिखे. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता भी बढ़ाता है.

कंटेंट लेबलिंग प्रोग्राम फेसबुक की प्राइवेसी को लेकर नए विवाद खड़ा कर सकता है. कंपनी पहले ही दुनिया भर में यूजर की प्राइवेसी के सवाल पर मुकदमे का सामना कर रही है. कंपनी पर आरोप है कि इसने कई देशों में यूजर्स के डाटा अपने बिजनेस पार्टनर को दिए हैं.
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यूजर्स को सब कुछ बताना जरूरी

फेसबुक के एक प्राइवेसी मैनेजर ने इस तरह के प्रोजेक्ट को लेकर खीझ जताई. उनका कहना था कि यूजर्स के पोस्ट बगैर उनकी इजाजत के नहीं खंगाले जा सकते. आउटसोर्स मामलों पर कानूनी सेवा देने वाली कंपनी विजिन और डाना के पार्टनर जॉन केनेडी का कहना है कि अगर सटीक सर्विस के लिए यूजर के पोस्ट देखना जरूरी हों तो भी इसके बारे में उसे साफ तौर बता देना चाहिए. अगर इसके लिए आउटसाइड वेंडर का भी इस्तेमाल किया जाता है तो भी सहमति लेना जरूरी है.

हालांकि फेसबुक की एक प्रवक्ता ने कहा है कि कंपनी की डेटा पॉलिसी साफ कहती है कि हम यूजर की ओर से मुहैया कराए जाने वाली जानकारी का इस्तेमाल उनके अनुभव को बेहतर बनाने के लिए करते हैं. हम इस प्रोसेस में मदद के लिए सर्विस प्रोवाइडर के साथ मिल कर काम कर सकते हैं.

क्या था विप्रो में चला लेबलिंग प्रोजेक्ट

हाथ से किए गए कंटेंट लेबलिंग को data annotation कहते हैं. यह इंडस्ट्री काफी तरक्की कर रही है क्योंकि कंपनियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ट्रेनिंग और दूसरे मकसदों के लिए डेटा की जरूरत होती है. अल्फाबेट की वेमो जैसी सेल्फ ड्राइविंग कार कंपनियों के पास ऐसे लेबलर होते हैं जो वीडियो देखकर लाइट और पैदल यात्रियों को आइडेंटिफाई करते हैं ताकि उनका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मजबूत हो सके.

फेसबुक ने विप्रो का प्रोजेक्ट पिछले साल अप्रैल में लांच किया था. इसके लिए विप्रो 40 लाख डॉलर का कांट्रेक्ट मिला था. कंपनी ने 260 लेबलर की टीम बनाई थी. 2018 में इस प्रोजेक्ट के तहत पिछले पांच साल के फेसबुक की एनालिसिस की गई थी.

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Published: 06 May 2019,06:27 PM IST

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