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फेसबुक भारत में जातियों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और एलजीबीटी समुदायों को निशाना बनाकर डाले गए मीम, फोटो और पोस्ट को पूरी तरह डिलीट करने में नाकाम रहा है. एडवोकेसी ग्रुप Equality Labs की एक साल की स्टडी के मुताबिक, फेसबुक ने यूजर के हिसाब से अपने सबसे बड़े मार्केट भारत में गैर अंग्रेजी कंटेंट को मॉडरेट करने में काफी कम सफलता हासिल की है. लैब ने कहा है कि हेट स्पीच से जुड़े फेसबुक नियमों के तहत रिपोर्ट करने के बावजूद ऐसे 93 फीसदी कंटेंट नहीं हटे हैं.
बजफीडन्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप और अमेरिका में गुमराह करने वाली राजनीतिक सूचनाओं और यूजर प्राइवेसी के उल्लंघन के मामले में फेसबुक को कड़ी आलोचना और निगरानी का सामना करना पड़ा है. लेकिन दुनिया के दूसरे हिस्सों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत और हिंसा फैलाने वाले गैर अंग्रेजी कंटेंट को मॉडरेट करने में नाकाम रहने की वजह से इसकी जबरदस्त खिंचाई हुई है.
लेकिन Equality Labs का कहना है कि भारत में नफरत फैलाने वाले मीम, पोस्ट और फोटो को डिलीट करने के मामले में फेसबुक ने काफी कम काम किया. 2019 के चुनावों के दौरान भी इस तरह के कंटेंट को काबू करने में फेसबुक ने काफी कम काम किया.
Equality Labs ने 1000 से ज्यादा पोस्ट की स्टडी के बाद बनाई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फेसबुक पर बड़े पैमाने पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को निशाना बनाया गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसे रोकने की तुरंत कोशिश नहीं की गई, तो हेट स्पीच का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने में हो सकता है. इक्वलिटी लैब ने कहा है कि फेसबुक के साथ एक साल की एडवोकेसी के बावजूद इस मामले में उनकी ओर से धीमे और कई बार कोई रेस्पॉन्स न होने की वजह से हम चिंतित हैं.
हालांकि इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फेसबुक ने कहा है कि कंपनी भारत समेत दुनिया के हर हिस्से में हाशिये के समुदायों के अधिकारों का सम्मान करता है और उनकी रक्षा करने का हिमायती है.
फेसबुक ने कहा है कि वह इस तरह के मामले को गंभीरता से लेता है और जैसे ही जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाला कंटेंट दिखता है, उसे तुरंत डिलीट कर दिया जाता है. इसके लिए कंपनी ने भारत में काफी निवेश किया है और स्थानीय भाषाओं के कंटेंट को रिव्यू करने वाले लोग रखे हैं. कंपनी का दावा है कि उसने इस दिशा में काफी काम किया है.
Equality Report में ऐसे मीम, फोटो और पोस्ट का जिक्र किया गया है, जो महिलाओं, धार्मिक, जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हैं. इनमें बाबरी मस्जिद विध्वंस और दलितों से जुड़ी अपमानजनक पोस्ट हैं. एक फेसबुक पोस्ट में बेसबॉल बैट को पत्नियों के लिए ‘एजुकेशनल टूल’ कहा गया है.
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