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फेसबुक पर आरोप लग रहा है कि उसने बीजेपी नेताओं की 'नफरती' पोस्ट्स को जानबूझकर नहीं हटाया. वॉल स्ट्रीट जरनल की रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे फेसबुक की भारत में टॉप पब्लिक पॉलिसी एग्जीक्यूटिव अंखी दास ने नफरती भाषण के नियम इन नेताओं पर लगने नहीं दिए. अब फेसबुक इंडिया के एमडी और वीपी अजित मोहन ने इस विवाद पर एक ब्लॉग लिखा है. मोहन ने लिखा है कि फेसबुक हमेशा एक 'खुला, पारदर्शी और पक्षपात नहीं करने वाला प्लेटफॉर्म रहा है.'
अजित मोहन ने अपने ब्लॉग में लिखा कि पिछले कुछ दिनों में फेसबुक पर पॉलिसी लागू करने में पक्षपात करने का आरोप लग रहा है और कंपनी ऐसे आरोपों को बहुत गंभीरता से लेती है. मोहन ने लिखा, "हम ये साफ कर देना चाहते हैं कि हम नफरत और कट्टरता की निंदा करते हैं."
अजित मोहन ने अपने ब्लॉग में कहा कि कम्युनिटी स्टैंडर्ड्स से तय होता है फेसबुक पर क्या रहेगा और इनके मुताबिक हेट स्पीच पर साफ पॉलिसी है. मोहन ने लिखा कि ये पॉलिसी लोगों पर उनके धर्म, जाति और राष्ट्रीयता के आधार पर हमला प्रतिबंधित करती हैं.
मोहन ने बताया कि फेसबुक अकेले ये पॉलिसी नहीं बनाता है और इनके लिए वो अकादमिक, सेफ्टी और ह्यूमन राइट्स NGO और एक्टिविस्ट पर भी निर्भर रहता है. उन्होंने कहा, "ये पॉलिसी बदलती रहती हैं, जिससे कि भारत जैसे कई संस्कृतियों वाले देश में स्थानीय संवेदनाओं को शामिल किया जा सके. इसका एक उदाहरण 2018 में हमारी हेट स्पीच पॉलिसी में जाति का जुड़ना है. इसके आधार पर अब हेट स्पीच नहीं फैलाई जा सकती."
फेसबुक इंडिया के एमडी अजित मोहन ने अपने ब्लॉग में सफाई देते हुए कहा है कि हेट कंटेंट के संबंध में बिना किसी पक्षपात और अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड्स के मुताबिक एक्शन लेते हैं. मोहन ने लिखा कि पॉलिसी को बिना किसी की राजनीतिक पहुंच, पार्टी से संबंध, धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वास को ध्यान में रखकर लागू किया जाता है.
अजित मोहन ने अपने ब्लॉग में कहा कि किसी को 'खतरनाक' करार दिए जाने की प्रक्रिया में कोई एक व्यक्ति फैसला नहीं लेता है, बल्कि कंपनी की कई टीमों से राय ली जाती है.
अपने ब्लॉग के आखिर में मोहन ने कहा कि फेसबुक ने हेट स्पीच पर पिछले कुछ सालों में काफी काम किया है और वो जानते हैं कि अभी काम खत्म नहीं हुआ है. मोहन ने लिखा कि हम हेट स्पीच से लड़ते रहेंगे.
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