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बिहार में कोरोना टेस्टिंग की प्रक्रिया एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पता चला है कि राज्य में कोरोना टेस्टिंग के डेटा में गड़बड़ी पाई गई है. फर्जी नाम और मोबाइल नंबर के जरिए स्वास्थ्यकर्मियों ने गलत रिपोर्ट तैयार की है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात स्वास्थ्यकर्मियों से बातचीत में यह पता चला कि डेली टारगेट को पूरा करने के लिए टेस्टिंग डेटा में गड़बड़ी की गई. आइए सिलेसिलेवार तरीके से जानते हैं कि बिहार में कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा कैसे हुआ ?
जमुई के बरहट में कोरोना टेस्टिंग की कुल 230 एंट्री थीं जिनमें से सिर्फ 12 एंट्री सही पाई गईं.
सिकंदरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मिली 208 एंट्रियों में से केवल 43 की ही पुष्टि हुई.
जमुई सदर के डेटा रिकॉर्ड में दर्ज 150 एंट्रियों में से सिर्फ 65 एंट्री ही सही पाई गई.
बरहट के टेस्टिंग डेटा में दर्ज मोबाइल 25 मोबाइल नंबर गलत पाए गए.
सिकंदरा में कोरोना टेस्टिंग डेटा में भी दर्ज 16 मोबाइल गलत मिले.
बरहट में एक ही मोबाइल नंबर का इस्तेमाल 26 व्यक्तियों के लिए किया गया.
शेखपुरा जिले के बारबिघा में कोरोना नेगेटिव व्यक्तियों के फोन नंबर का इस्तेमाल अन्य लोगों के नाम पर किया गया.
बिहार देश के उन राज्यों में से है जहां कोरोना महामारी के अधिक मामले सामने आए हैं. राज्य में कोरोना के 2 लाख 61 हजार 447 केस दर्ज किये गए. इनमें कोविड से 1518 लोगों की मौत हुई. हालांकि राज्य में अब एक्टिव मरीजों की संख्या 754 है. वहीं पूरे प्रदेश में 1 लाख मरीजों की टेस्टिंग का टारगेट रखा गया था जिसमें से 75 हजार लोगों की टेस्टिंग हो चुकी है.
पटना के 46 प्राथिमक स्वास्थ्य केंद्रों के रिकॉर्ड के अनुसार जिले में कोरोना के 52 हजार 501 केस सामने आए हैं. इनमें से एक्टिव केसों की संख्या 375 है जबकि मौत का आंकड़ा 428 है. जिले में 10 हजार टेस्टिंग का लक्ष्य रखा गया था और 2 हजार 500 लोगों के टेस्ट हो चुकी हैं।
जमुई के 11 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कोरोना के 3 हजार 164 मामले दर्ज हैं इनमें अब एक्टिव केसों की संख्या 7 है जबकि मौत का आंकड़ा 10 है। जिले में 2 हजार 725 टेस्टिंग का लक्ष्य रखा गया था और 1 हजार 500 टेस्ट किये जा चुके हैं.
शेखपुरा के 6 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोरोना पॉजिटिव केसों की कुल संख्या 2 हजार 999 है. हालांकि अब एक्टिव केस सिर्फ 1 है जबकि 13 लोगों की कोरोना से मौत हुई. जिले में टेस्टिंग का लक्ष्य 300 रखा गया था लेकिन अब तक 900 लोगों की टेस्टिंग हो चुकी है.
इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा है. तेजस्वी यादव ने कहा कि फर्जी कोरोना टेस्ट दिखाकर नेता और अधिकारियों ने घोटाला किया हैतेजस्वी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया- "बिहार की आत्माविहीन भ्रष्ट नीतीश कुमार सरकार के बस में होता तो कोरोना काल में गरीबों की लाशें बेच-बेचकर भी कमाई कर लेती."
बिहार में कोरोना की जांच के नाम पर हुई इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने जांच की बात कही है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने कहा है कि इस मामले की सभी स्तरों पर जांच होगी और सिविल सर्जनों से रिपोर्ट मांगी जाएगी.
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