advertisement
उत्तर प्रदेश के बरेली में एक महिला ने पति का इलाज कराने के लिए अपने 15 दिन के बच्चे को 45 हजार रुपये में बेच दिया. उसका कहना है कि पति का इलाज कराने के लिए उसके पास पैसे नहीं है. इस घटना के सामने आने के बाद प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए.
एक मां के लिए उसके बच्चे से ज्यादा अनमोल और कुछ नहीं होता, लेकिन हमारे देश में गरीबी उस अभिषाप का नाम है, जो एक बेबस मां को अपने कलेजे के टुकड़े को बेचने के लिए मजबूर कर देती है. दिल को पसीज देने वाली ये घटना बरेली के मीरगंज इलाके की है. यहां के हाफिजगंज थाना के खोह गांव में एक गरीब मां ने अपने 15 दिन के नवजात बच्चे को बेच दिया,वो भी इसलिए, क्योंकि उसके पति के इलाज के लिए पैसे नहीं थे.
खबरों का मुताबिक, गांव के रहने वाले मजदूर हरस्वरूप की उत्तराखण्ड में मजदूरी करने के दौरान मकान की दीवार गिरने से रीढ़ की हड्डी टूट गई थी. डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए दिल्ली या लखनऊ ले जाने की सलाह दी थी. इलाज के लिए पहले गांव के ही कई लोगों से मदद भी मांगी थी लेकिन कोई आगे नहीं आया. अस्पताल वालों ने भी बिना पैसे के इलाज करने से मना कर भगा दिया. लेकिन पत्नी इलाज के लिए पैसों का इंतजाम नहीं कर सकी. महिला के पहले से दो बेटे हैं. 15 दिन पहले पत्नी संजू ने एक और बेटे को जन्म दिया. पति के इलाज के लिए पैसे न होने की वजह से मजदूर की पत्नी ने नवजात को बेच दिया. बताया जा रहा है कि शनिवार को एक शख्स बच्चे को 45,000 रुपये में खरीदकर ले गया.
मीडिया की ओर से मामला उठाए जाने के बाद जैसे ही नवजात को बेचे जाने की खबर फैली, प्रशासन में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में बरेली के डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने इस परिवार को को मदद मुहैया कराने का ऐलान कर दिया. सूत्रों के मुताबिक डीएम ने नवाबगंज एसडीएम से पूरे मामले की रिपोर्ट देने को कहा है. वहीं, बच्चा लेने वाले व्यक्ति की जानकारी कर बच्चे को बरामद करने और उसे हरस्वरूप के परिवार को सौंपने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा, प्रशासन के अधिकारी भी इस परिवार के पर पहुंचे और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया.
इस घटना से एक बार फिर से ये कड़वा सच सामने आ गया है कि देश में आज भी इतनी गरीबी है कि लोगों के पास इलाज कराने तक के पैसे नही हैं. यही वजह है कि पेट की आग एक मां की ममता पर भी भारी पड़ जाती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)