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शास्त्रीय संगीत में प्रमुख गायकों में से एक पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी का आज 96वां जन्मदिन है. जोशी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. भारत सरकार उन्हें कला के क्षेत्र में पद्म भूषण, पद्म विभूषण और पद्मश्री से भी सम्मानित कर चुकी है. उनके बेटे आनंद जोशी भी शास्त्रीय गायक और संगीतकार हैं.
पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी का जन्म आज ही के दिन साल 1922 को कर्नाटक के गडक जिले में हुआ था. बचपन से ही संगीत की धुन लग गयी थी. 1941 में जोशी ने 19 साल की उम्र में मंच पर अपनी पहली प्रस्तुति दी. 20 साल की उम्र में कन्नड़ और हिन्दी भाषा में कुछ धार्मिक गीतों की उनकी पहली एल्बम निकली. भले ही भीमसेन जोशी आज इस दुनिया में न हों, लेकिन संगीत कभी मरता नहीं. 88 साल की उम्र में 24 जनवरी 2011 को लंबी बीमारी के बाद जोशी का निधन हो गया.
कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का आज 80वां जन्मदिन है. बिरजू महाराज ने कथक के जरिये दुनियाभर में भारत का कद ऊंचा किया है. भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने में उनका अहम योगदान है. भारतीय शास्त्रीय नृत्य ‘कत्थक’ को नए आयाम पर पहुंचाने वाले बिरजू महाराज ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी कथक का रंग जमाया है. महाराज को अपने क्षेत्र में पद्म विभूषण और संगीत नाटक अकादमी जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का जन्म आज ही के दिन साल 1938 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था. सात साल की उम्र में उन्होंने अपने जीवन का पहला गायन दिया. बिरजू महाराज ने 'डेढ़ इश्किया', 'उमराव जान', 'बाजीराव मस्तानी' जैसी कई हिंदी फिल्मों में कत्थक नृत्य के संयोजन किए.
बॉलीवुड की 'छम्मा छम्मा' एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर का आज 44वां जन्मदिन है. 1990 और 2000 दशक के दौरान उर्मिला ने कई हिट फिल्मों में काम किया है. 'रंगीला', 'जुदाई', 'सत्या', 'मेरे सपनों की रानी', 'हम तुम पे मरते हैं', 'दीवानगी', 'कर्ज', 'मैंने गांधी को नहीं मारा', 'दीवाने' जैसी कई फिल्मों के लिए उन्हें जाना जाता है.
उर्मिला मातोंडकर का जन्म आज ही के दिन साल 1974 को मुंबई में हुआ था. उर्मिला ने छह साल की उम्र में ही बॉलीवुड में कदम रख लिया था. साल 1980 में बाल कलाकार के रूप में फिल्म 'कलयुग' से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत कर दी थी. इसके बाद 1983 में आई फिल्म 'मासूम' में काम किया. इस फिल्म में उनका गाना 'लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा' आज भी बच्चों का पसंदीदा गाना है.
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