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कपास फसल की बर्बादी और कर्ज के बोझ तले किसान की खुदकुशी से मौत

भोला ने अपने 4 एकड़ के खेत में कपास उगाई थी. उनके बेटे ने बताया कि पूरी फसल पिंक बॉलवर्म के हमले की चपेट में है.

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<div class="paragraphs"><p>एक किसान और खेतिहर मजदूर ने की आत्महत्या</p></div>
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एक किसान और खेतिहर मजदूर ने की आत्महत्या

फोटो- इंडियन एक्सप्रेस

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पंजाब (Punjab) में कपास की फसल पर इस वक्त पिंक बॉलवर्म नाम का एक कीट कहर बरपा रहा है. इस कहर से कपास की फसल को हुए बड़े नुकसान के बीच, पंजाब के एक किसान ने बुधवार को बठिंडा के तलवंडी साबो में कथित रूप से आत्महत्या कर ली. किसान के अलावा एक खेतिहर मजदूर ने भी खुदखुशी की.

किसान जसपाल सिंह भोला ने किटों से हुए फसल को नुकसान के चलते बुधवार सुबह और मंगलवार की सुबह खेत मजदूर मोहिंदर सिंह ने अपने पैतृक गांव में पेड़ से लटक कर फांसी लगाई.

48 साल के भोला ने अपने चार एकड़ के खेत में कपास उगाई थी. उनके बेटे नवप्रीत सिंह ने बताया कि पूरी फसल पिंक बॉलवर्म के हमले की चपेट में है.
हमारे पास 15 लाख रुपये की देन दारियां हैं और बैंक ने 10 लाख रुपये की जमीन के लिए कुर्की का नोटिस जारी किया था. मेरे पिता ने दोपहर में फांसी लगा ली जब घर पर कोई नहीं था. बर्बाद हुई कपास की फसल से वह परेशान थे साथ ही उन्हें पेट में कैंसर था.
नवप्रीत सिंह, मृतक किसान जसपाल के बेटे

इस बीच, भारतीय किसान यूनियन के मोहन सिंह चठेवाला ने मांग की कि राज्य सरकार जसपाल सिंह के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा दें. उन्होंने परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की है.

इससे पहले 42 साल के मोहिंदर सिंह मंगलवार की सुबह गांव जग राम तीरथ के क्षेत्र में एक पेड़ से लटके मिले थे. उनकी पत्नी कुलवंत कौर के मुताबिक मोहिंदर सिंह पर करीब 2 लाख रुपये का कर्ज है. उन्होंने कहा कि कपास की फसल को कीट बर्बाद कर रहे हैं, इसलिए कपास तोड़ने जैसे किसी भी काम के लिए इस बार उनको काम पर नहीं रखा गया. इससे उनके पास पैसों की कमी हो गई.

जिला परिषद के सदस्य और गांव के निवासी जोगिंदर सिंह जग्गा ने कहा, “सरकार को परिवार को मानदंडों के अनुसार मुआवजा देना चाहिए.”

रविवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने घोषणा की थी कि पिंक बॉलवर्म के हमले से नुकसान झेलने हर कपास के किसान को सरकार मुआवजा देगी.

इससे पहले उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी ने पिछले हफ्ते कपास की फसल को कीटों के हमले से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए एक विशेष ‘गिरदावरी’ का आदेश दिया था.

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