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UP: ग्रेटर नोएडा में किसानों का हल्लाबोल, दोनों गेटों पर तालाबंदी- पुलिस से झड़प

एसपी विधायक अतुल प्रधान ने कहा, "नोएडा में जगह-जगह पर किसानों के धरना प्रदर्शन चल रहे हैं, लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है."

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<div class="paragraphs"><p>ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों का हल्लाबोल, दोनों गेटों पर तालाबंदी, पुलिस से झड़प</p></div>
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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों का हल्लाबोल, दोनों गेटों पर तालाबंदी, पुलिस से झड़प

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मुआवजा संबंधी मांगों को लेकर करीब 50 गांवों के सैकड़ों किसान पिछले 119 दिनों से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) के बाहर धरने पर बैठे हैं. मंगलवार, 12 सितंबर को ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) स्थित जयपुर गोल चक्कर पर भारी तादाद में किसान इकट्ठा हुए. किसानों ने प्राधिकरण के दोनों गेटों पर तालाबंदी कर दी. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में तीखी झड़प हुई.

किसानों ने उन्हें रोकने के लिए बनाए गए बैरिकेड्स तोड़ दिए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. कई घंटे तक हंगामा चलता रहा. इस दौरान किसानों के समर्थन में मेरठ के सरधना क्षेत्र से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक अतुल प्रधान भी मौके पर पहुंचे. इससे पहले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी किसानों को अपना समर्थन दे चुके हैं.

किसानों की क्या-क्या मांगें? 

  • 1997 के बाद के सभी किसानों को बढ़ी दर 67.4 प्रतिशत की दर से मुआवजा दिया जाए, चाहे वो कोर्ट गए हो या नहीं.

  • किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए.

  • आबादी जैसी है वैसी छोड़ी जाए. विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाकर 1000 प्रति वर्गमीटर किया जाए.

  • भूमि उपलब्धता न होने के कारण पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड भू-लेख विभाग में नहीं रोके जाएंगे. उनका नियोजन किया जाए.

  • भवनों की ऊंचाई को बढ़ाए जाने की अनुमति दी जाए. क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाईराइज इमारते हैं. ऐसे में उनका एरिया लो लेयिंग एरिया में आ गया है.

  • 5 प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियां चलने की अनुमति दी जाए.

  • गांवों के विकास के साथ खेल बजट का प्राविधान किया जाए.

  • गांवों में पुस्तकालय बनाए जाएं.

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सरकार बात नहीं सुनना चाहती: SP विधायक

एसपी विधायक अतुल प्रधान ने कहा, "नोएडा में जगह-जगह पर किसानों के धरना प्रदर्शन चल रहे हैं, लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है. सरकार किसानों की बात को सुनना ही नहीं चाहती है. किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं और हम किसानों के साथ हैं. जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं हो जाती, उनका यह प्रदर्शन चलता रहेगा. हम किसानों का पूरा साथ देंगे." उन्होंने आगे कहा,

"हमने पहले ही ऐलान कर दिया था कि यदि मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाया तो 12 सितंबर को प्राधिकरण के दोनों गेटों पर तालाबंदी करेंगे. अब फिर कह रहे हैं कि किसानों की मांगों को नहीं माना गया, तो यह आंदोलन और उग्र होगा. किसानों के साथ दिखावा किया जा रहा है. उन्हें छला जा रहा है."
बृजेश भाटी (किसान नेता)

किसानों का ये धरना-प्रदर्शन बीते 119 दिन से जारी है. इससे पहले साल 2021 में किसानों ने इन्हीं मांगों को लेकर 122 दिन तक प्राधिकरण के प्रशासनिक खंड कार्यालय पर धरना दिया था. हालांकि, तब सांसद और विधायक के हस्तक्षेप के बाद धरना समाप्त हो गया था. अब दोबारा से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. गौरतलब है कि किसानों की प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन वह सब विफल रही है.

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