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केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे किसान संगठनों के नेताओं और सरकार के बीच शुक्रवार को नौवें दौर की बातचीत होनी है. यह बातचीत दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 12 बजे से शुरू होनी है.
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने बताया कि शुक्रवार को 12 बजे किसान संगठनों के प्रतिनिधि सरकार के साथ बातचीत के लिए जाएंगे, जिसमें वह भी शामिल होंगे.
प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के नेता केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं.
सरकार और किसान नेताओं के बीच इस मसले को लेकर आठ दौर की बातचीत में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन को लेकर दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी और शीर्ष अदालत ने मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया, जिसमें चार सदस्यों को नामित किया गया था. हालांकि कमेटी में शामिल एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग करने की घोषणा की है.
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का शुक्रवार को 51वां दिन है और देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का कहना है कि जब तक नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा. दिल्ली की सीमाओं पर स्थित प्रदर्शन स्थल सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में किसानों का प्रदर्शन चल रहा है.
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