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सरकार के वो पांच वादे, जिनकी वजह से एक साल बाद खत्म हुआ किसान आंदोलन

किसान आंदोलन को खत्म करने का हुआ ऐलान, सभी पांच मांगों पर सरकार ने लिखित में किया वादा

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>किसान आंदोलन </p></div>
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किसान आंदोलन

(फोटो: Altered by Quint)

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राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 380 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन (Farmers Protest) आखिरकार खत्म हो चुका है. सरकार की तरफ से नए प्रस्ताव के बाद आखिरकार किसानों ने ऐलान किया कि वो 11 दिसंबर से अपने घरों की ओर लौटेंगे. इससे पहले केंद्र सरकार ने किसानों के आंदोलन के चलते तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया. लेकिन इसके बाद भी किसान अपनी कुछ मांगों को लेकर डटे रहे. अब सरकार की तरफ से पांच वादों का एक प्रस्ताव दिया गया, जिस पर किसान सहमत हो गए.

जानिए केंद्र सरकार ने किसानों की कौन सी पांच मांगों पर अपना नया प्रस्ताव तैयार किया है और उस प्रस्ताव में आखिर क्या लिखा है.

1- एमएसपी पर प्रधानमंत्री जी ने खुद और बाद में कृषि मंत्री ने कमेटी बनाने की घोषणा की है. जिस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और वैज्ञानिक शामिल होंगे. ये स्पष्ट किया जाता है कि किसान प्रतिनिधि में एसकेएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. कमेटी का उद्देश्य होगा कि देश के किसानों को एमएसपी मिलना किस तरह सुनिश्चित किया जाए. सरकार वार्ता के दौरान पहले ही आश्वासन दे चुकी है कि देश में एमएसपी पर खरीदी की अभी की स्थिति को जारी रखा जाएगा.

2 - जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के केसों का सवाल है, यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि तत्काल प्रभाव से आंदोलन संबंधित सभी केसों को वापस लिया जाएगा.

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2 (A) - किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विघाव और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्र में आंदोलनकारियों और समर्थकों पर बनाए गए आंदोलन संबंधित सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने पर सहमति है. भारत सरकार अन्य राज्यों से अपील करेगी कि इस किसान आंदोलन से संबंधित केसों को वापस लेने की कार्रवाई करें.

3 - मुआवजे का जहां तक सवाल है, इसके लिए भी हरियाणा और यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है. उपर्युक्त दोनों विषयों के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा की है.

4 - बिजली बिल में किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स/संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी. मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा.

5 - जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है, उसकी धारा 14 और 15 में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसान को मुक्ति दी है.

इस प्रस्ताव के आखिर में लिखा गया है कि, उपरोक्त प्रस्ताव से लंबित पांचों मांगों का समाधान हो जाता है. अब किसान आंदोलन को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं रहता है. अत: अनुरोध है कि उक्त के आलोक में आंदोलन समाप्त करें.

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