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कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच एक बार फिर झड़प हुई. प्रदर्शन स्थल के पास बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी के बाद यहां झड़प हो गई. जिसमें कई गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की गई. साथ ही कुछ लोगों को चोट भी आई. इस पूरे मामले को लेकर बीकेयू नेता राकेश टिकैत का कहना है कि बीजेपी नेता मंच पर कब्जा करना चाहते थे. साथ ही टिकैत ने कहा कि वो इस मामले को लेकर थाने में तहरीर भी देंगे.
गाजीपुर बॉर्डर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और किसानों के बीच हुई इस झड़प को लेकर जब हमने किसान नेता राकेश टिकैत से पूछा कि, गाजीपुर में आखिर हुआ क्या था? इसके जवाब में उन्होंने कहा,
राकेश टिकैत ने कहा कि ये लोग चाहते हैं कि जो हरियाणा में हो रहा है, वैसा ही माहौल पूरे देश में बने. टिकैत ने कहा कि, सड़क पर हम प्रदर्शन कर रहे हैं, हमें हटाने की बात ये लोग कर रहे हैं. क्या ये गुंडे हैं, जो कब्जा हटाने का काम करते हैं? टिकैत ने पुलिस पर भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पुलिस की मौजूदगी में ये सब कुछ हुआ और पुलिस को सब कुछ पता है.
जब हमने पूछा कि इस घटना को लेकर आगे उनकी क्या रणनीति है, तो इस पर टिकैत ने कहा कि हम उनके खिलाफ तहरीर दे रहे हैं. पुलिस को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. अगर कार्रवाई नहीं हुई तो हर जिला मुख्यालय पर आंदोलन होंगे. हम भी बीजेपी के दफ्तरों के आगे बैठ सकते हैं. वहां गाली गलौच करेंगे तो उन्हें कैसा लगेगा? जैसा उन्हें लगेगा, वैसा ही आज हमें भी लगा.
भारतीय किसान यूनियन ने इस घटना को लेकर ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं के हमने में किसान घायल हुए हैं. इस ट्वीट में बताया गया कि, "बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने आज गाजीपुर बॉर्डर पर फ्लाईवे के बीच मंच के पास भारी संख्या में इकट्ठे होकर किसी नेता के स्वागत के बहाने ढोल बजाकर आंदोलन विरोधी नारे लगाए. भाकियू कार्यकर्ताओं के मना करने लाठी डंडों से हमला किया. जिसमे किसान घायल हुए हैं.
गाजीपुर बॉर्डर पर हुई घटना को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि, ये घटना बीजेपी का एक सोचा समझा षड़यंत्र था. किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए और तोड़ने के लिए ये षड़यंत्र रचा गया. किसानों के मंच के सामने आकर झंडे लेकर ढोल बजाए गए. किसानों ने प्रशासन को बताया कि इन्हें यहां से हटाया जाए. सरकार का ये षड़यंत्र कामयाब होने वाला नहीं है. इससे पहले भी ये सरकार ऐसी कई कोशिशें कर चुकी हैं.
विपक्षी दलों ने भी इस घटना को लेकर बीजेपी और उसके कार्यकर्ताओं की जमकर आलोचना की. यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा,
हरियाणा बीजेपी के सोशल मीडिया हेड अरुण यादव ने किसानों पर तलवारों से हमला करने का आरोप लगाया. साथ ही यूपी पुलिस को कार्रवाई करने को भी कहा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "जहां तलवार दिखानी चाहिए थी वहां तो दिखा नहीं पाए. आज गाजीपुर बॉर्डर पर वाल्मीकि समाज के नेता अमित वाल्मीकि जी पर तलवारों से हमला करते कुछ बहादुर आंदोलनकारी. शर्म करो बहन बेटियों की सुरक्षा में तलवार उठाओ. यूपी पुलिस कृपया संज्ञान ले.
ऐसे ही आरोप बीजेपी के बाकी नेताओं ने भी लगाए हैं. बीजेपी नेता अमित वाल्मीकि के समर्थकों ने ट्विटर पर कुछ वीडियो शेयर कर किसानों को इस झड़प का जिम्मेदार ठहराया है.
दरअसल पिछले करीब 7 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर किसान संगठन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. शुरुआत से ही बीजेपी नेता इस किसान आंदोलन के खिलाफ बोलते आए हैं और इसे कई तरह के टैग भी दे चुके हैं. जनवरी में लाल किले पर हुई हिंसा के बाद भी बीजेपी नेताओं ने गाजीपुर बॉर्डर पहुंचकर नारेबाजी की थी, इस दौरान भी किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई. हालांकि इससे आंदोलन और तेज हो गया.
इस बार हुई घटना की बात करें तो कई बीजेपी कार्यकर्ता और समर्थक बीजेपी नेता अमिल वाल्मीकि के स्वागत में गाजीपुर पहुंचे थे. किसानों के प्रदर्शन स्थल से कुछ ही दूर बीजेपी समर्थक जमा हो गए. इसी दौरान नारेबाजी भी हुई और दोनों तरफ से काले झंडे दिखाए गए. देखते ही देखते किसान और बीजेपी समर्थक आपस में भिड़ गए. जिसके बाद दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
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