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उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के बीच देर रात टेंशन का माहौल बन गया. किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने गाजीपुर में प्रदर्शन कर रहे किसानों के टेंट वाले इलाके की लाइट काट दी है.
राकेश टिकैत ने कहा,
बता दें कि गाजीपुर में किसानों को आशंका थी कि रात के अंधेरे में पुलिस उनपर कार्यवाई कर सकती है, जिसके बाद कई किसान रात में जागते रहे.
गाजीपुर में मौजूद एक किसान ने कहा, “हमें डर नहीं लग रहा है, डर किस बात का लगेगा, सरकार ने किसान आंदोलन के खिलाफ षडयंत्र रचकर इस आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है, आज लाइट काटी गई है, किसानों को डराने की कोशिश की गई है.”
वहीं दूसरी ओर कृषि कानूनों के विरोध में बागपत के बड़ौत शहर में दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर चले आ रहे किसानों के धरने को देर रात पुलिस ने खत्म करा दिया है. किसानों का आरोप है कि धरने में सो रहे किसानों को पुलिस ने बल प्रयोग कर हटा दिया है. उनके टेंट को उखाड़ फेंका और और सामान अपने कब्जे में ले लिया है, वहीं पुलिस-प्रशासन इस कार्रवाई को शांतिपूर्ण ढंग से होने का दावा कर रहा है.
बागपत के एडीएम ने एक बयान में कहा कि NHAI के अनुरोध पर राष्ट्रीय राजमार्ग से अवैध अतिक्रमण शांतिपूर्ण ढंग से हटाया गया है.
हालांकि उत्तर प्रदेश के ADG (कानून-व्यवस्था) का कुछ और ही कहना है. उन्होंने कहा है कि दिल्ली में हिंसा को देखते हुए किसानों ने अपनी मर्जी से आंदोलन वापस ले लिया है. ADG (कानून-व्यवस्था) ने कहा,
वहीं पूर्व सांसद और आरएलडी नेता जयंत चौधरी ने बड़ौत में पुलिस की कार्यवाई में घायल हुए एक किसान की फोटे शेयर की है. उन्होंने कहा, “कल देर रात बड़ौत में पुलिस ने सोते हुए किसानों पर लाठियां बरसाई! इस बुजुर्ग किसान को देखो. ये कोई आतंकवादी या अपराधी है क्या?”
बता दें कि ये किसान दिल्ली-सहारनपुर हाइवे पर 19 दिसंबर से धरने पर बैठे थे.
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