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केंद्र के 3 नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने समेत बाकी मांगों के साथ जारी आंदोलन के बीच किसान नेताओं ने सरकार को एक बार फिर चेतावनी दी है. किसानों के आंदोलन का समन्वय कर रही 7 सदस्यीय एक समिति ने शनिवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार से कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोर्चों से किसान 26 जनवरी को दिल्ली में आकर ट्रैक्टर ट्रॉली और बाकी वाहनों के साथ "किसान गणतंत्र परेड" करेंगे.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्यों बलबीर सिंह राजे वाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, जगजीत सिंह डल्लेवाल और योगेंद्र यादव ने संबोधित किया.
किसान नेताओं ने यह भी साफ किया कि यह परेड गणतंत्र दिवस की आधिकारिक परेड खत्म होने के बाद होगी.
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से अब से 26 जनवरी के बीच कई स्थानीय और राष्ट्रीय कार्यक्रमों की घोषणा भी की गई है. किसान आंदोलन को पूरे देश में गति देने के लिए 6 जनवरी से 20 जनवरी तक ''सरकारी झूठ और दुष्प्रचार का भंडाफोड़'' करने के लिए "देश जागृति पखवाड़ा" मनाया जाएगा. इस पखवाड़े में देश के हर जिले में धरने और पक्के मोर्चे आयोजित किए जाएंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक,
किसान संगठन कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं.
मगर किसान संगठनों को आशंका है कि इन कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडी व्यवस्था खतरे में आ जाएगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों पर निर्भर छोड़ दिया जाएगा. हालांकि, सरकार ने कहा है कि एमएसपी और मंडी व्यवस्था बनी रहेगी.
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