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कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच लगातार तनातनी जारी है. किसान संगठनों ने एक बार फिर साफ किया है कि सरकार को तीनों कानून वापस लेने होंगे, इसके बाद ही आंदोलन खत्म होगा. संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि हम रोटी को तिजोरी की वस्तु नहीं बनने देंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि, किसान संगठनों की तरफ से किसान महापंचायतो का दौर जारी है. देशभर में किसानों से मिल रहे भारी समर्थन से यह तय है कि सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस करना पड़ेगा. आज बिलारी और बहादुरगढ़ में आयोजित महापंचायतो में किसानो एवं जागरुक नागरिकों का भारी समर्थन मिला. किसान नेताओं ने कहा है कि रोटी को तिजोरी की वस्तु नहीं बनने देंगे और भूख का व्यापार नहीं होने देंगे.
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार की किसान विरोधी और कॉरपोरेट पक्षीय मंशा इसी बात से भी स्पष्ट होती है कि बड़े-बड़े गोदाम पहले ही बन गए और कानून फिर कानून बनाए. किसानों ने संसद में किसान आंदोलन के शहीदों को लेकर हुए हंगामे को लेकर कहा,
किसान नेताओं का कहना है कि इस सरकार का कलम और कैमरे पर सख्त दबाव है. इसी कड़ी में पत्रकारों की गिरफ्तारी और मीडिया के दफ्तरों पर छापेमारी हो रही है. हम न्यूजक्लिक मीडिया पर बनाए जा रहे दबाव की निंदा करते हैं. ऐसे वक्त में जब गोदी मीडिया सरकार का प्रोपोगेंडा फैला रहा है, चंद मीडिया चैनल लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की लाज बचाए हुए हैं और उन पर हमला निंदनीय है.
14 फरवरी को, पुलवामा हमले के शहीदों को याद करते हुए, बीजेपी सरकार के छद्म राष्ट्रवाद को बेनकाब करने के लिए, एक मीडिया हाउस के एंकर के लीक गुप्त व्हाट्सएप चैट की पृष्ठभूमि के खिलाफ और यह दिखाने के लिए कि किसान सही मायने में हमारे जवानों का सम्मान करते हैं, पूरे भारत के गांवों और कस्बों में मशाल जूलूस और कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा. आंदोलन में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी. जय जवान, जय किसान के आंदोलन के आदर्श को दोहराया जाएगा.
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