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किसानों का प्रदर्शन आज भी जारी है, सरकार के अपील के बाद भी किसानों अपनी मांगों पर अड़े हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हमें यहां रूकने से कोई फायदा नहीं है,अभी तक कोई पूछने नहीं आया. हम यहां रहने नहीं आए हैं, दिल्ली के सभी बॉर्डर सील किए जाएंगे, उसके बाद ये लोग सुनेंगे. किसानों ने चेतावनी दी है कि वे राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले सभी पांच प्रवेश मार्गों को बंद कर देंगे.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर डटे हुए हैं. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "जब सारी बैठक हमेशा जंतर-मंतर पर होती हैं तो किसान को जंतर-मंतर पर क्यों नहीं जाने दे रहे? जब तक कोई फैसला नहीं निकलेगा हम यहीं रहेंगे.
गाजियाबाद और गाजीपुर को जोड़ने वाली सीमा पर बड़ी संख्या में किसानों ने डेरा जमाया हुआ है. यहां बीती रात बड़ी संख्या में किसान सड़कों पर रहे, कृषि कानून का विरोध किया.
किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण दिल्ली-बहादुरगढ़ रोड पर टिकरी बॉर्डर पर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां ट्रैफिक मूवमेंट बंद है,
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी एक वीडिये जारी कर मोदी सरकार पर हमला बोला है.
आप किसानों पर इतना बल प्रयोग कर रहे हो, आंसू गैस छोड़ रहे हो, लाठियां बरसा रहे हो, बंदूकें तान कर खड़े हो. अगर आप ये बल प्रयोग चीन की सीमा पर करते तो लद्दाख में चीनी नहीं घुसते.
किसानों के आंदोलन को सुलझाने के लिए सरकार की ओर से कोशिशें तेज हो गई हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर देर रात अहम बैठक. हैदराबाद से नई दिल्ली पहुंचते ही गृहमंत्री अमित शाह इस बैठक में शामिल हुए. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी बैठक में मौजूद थए. गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को किसानों से बुराड़ी के निरंकारी मैदान में शिफ्ट होने की अपील की थी, उन्होंने कहा था कि बुराड़ी में निर्धारित मैदान में शिफ्ट होने के अगले ही दिन सरकार बातचीत करेगी. गृह सचिव ने किसान नेताओं को पत्र भी भेजकर यह ऑफर दिया था, लेकिन किसान संगठनों ने रविवार को बुराड़ी ग्राउंड में एकत्र होने की सरकार की अपील ठुकरा दी थी. किसानों का कहना है कि बातचीत के लिए उन्हें किसी तरह की शर्त मंजूर नहीं है.
विरोध प्रदर्शन के बीच गुरु नानक जयंती के मौके पर आस्था के रंग भी देखने को मिले और प्रदर्शन स्थल पर गुरबानी और शबद की गूंज सुनने को मिली. ट्रैक्टर ट्रॉलियों से भरे सिंघु सीमा विरोध स्थल गुरुओं (गुरबानी) के शब्दों से गूंजता रहा क्योंकि सभा को संबोधित कर रहे किसानों ने उन्हें अपने भाषणों में इसे शामिल कर लिया.
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