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एक तरफ सरकार आम बजट के किसानों का बजट होने का दावा कर रही है, वहीं देश के कई किसान नेता और संगठन लगातार बजट को किसानों के लिए छलावा बता रहे हैं. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देश की भर के 191 किसान संगठनों ने सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी संघर्ष का ऐलान किया है.
स्वराज इंडिया के कन्वेनर योगेंद्र यादव का कहना है:
इस मौके पर नर्मदा बचाव आंदोलन की नेता मेधा पाटकर, महाराष्ट्र से लोकसभा सांसद राजो शेट्टी, एआईकेएससीसी के संयोजक वी एम सिंह, पूर्व सांसद हन्नान मौल्ला मौजूद थे.
क्विंट से बात करते मेधा पाटकर ने कहा, “कृषि संकट से किसानों को उबारने के लिए किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति को लेकर बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है. यहां तक कि किसानों के आत्महत्या को रोकने को लेकर भी कोई जिक्र नहीं हैं. सिंचाई, आपदा की स्थिति में किसान को मुआवजा जैसे मुद्दों पर एक शब्द भी नहीं बोला.”
भारत में किसानों को उनकी उपज का ठीक दाम दिलाने और बाजार में कीमतों को गिरने से रोकने के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की बात करती है.
देश में 26 कृषि उत्पादों पर सरकार समर्थन मूल्य घोषित करती है. इनमें सात अनाज, पांच दलहन,आठ तिलहन के अलावा जटा वाले और छिले नारियल, कपास, जूट और तम्बाकू शामिल हैं.
वित्ता मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार रबी के फसल पर डेढ़ गुना ज्यादा एमएसपी दे रही है. इसी तरह सरकार रबी फसलों पर भी डेढ़ गुना ज्यादा एमएसपी देगी. मेधा पाटकर का कहना है:
2004 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने किसानों के लिए राष्ट्रीय आयोग बनाया था, जिसे हम स्वामीनाथन आयोग के नाम से जानते हैं.
ए2 का मतलब किसानों के फसल उत्पादन में किए गए सभी तरह के कैश खर्च. जैसे कि खाद, मजदूर, बीज, सिंचाई के लिए जनरेटर पर किये गए खर्च शामिल हैं.
ए2+एफएल में कैश खर्च के साथ साथ किसान का मेहनताना आता है. वहीं सी2 लागत में फसल उत्पादन में कैश पैसों का खर्च और कैश के अलावा जमीन पर लगने वाले लीज रेंट, महाजन से खेती के लिए ब्याज पर लिए गए पैसे भी शामिल हैं.
महाराष्ट्र से लोकसभा सांसद और स्वाभिमानी शेतकारी पार्टी के अध्यक्ष राजो शेट्टी ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि फसल बीमा योजना सिर्फ कॉर्पोरेट घरानों और बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए है. क्विंट से बात करते हुए उन्होंने कहा:
बजट से नाखुश किसान AIKSCC के नेतृत्व में 12 फरवरी से 19 फरवरी तक देश भर के लगभग एक हजार जगहों पर किसान मुक्ति सप्ताह मनाने का ऐलान किया है. साथ ही AIKSCC ने इस बात का भी ऐलान किया है कि वो बजट की कॉपियां जलाकर विरोध प्रकट करेगी.
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