advertisement
मोदी सरकार ने अपने 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम के तहत डिफेंस सेक्टर में विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया था. इसके लिए सरकार ने नई नीति भी बनाई लेकिन सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में नाकाम रही. यही वजह है कि बीते चार साल में डिफेंस प्रोडक्शन सेक्टर में कुल 1.17 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हुआ है.
विदेशी निवेश का ये हाल तब है जब एनडीए सरकार ने फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड को बीते साल मई महीने में खत्म कर एफडीआई नीति को और भी आसान कर दिया था.
साल 2016 में मोदी सरकार ने एफडीआई पॉलिसी जारी की थी. इस नई व्यवस्था में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ऑटोमेटिक रूट से और उसके ऊपर की हिस्सेदारी सरकार की मंजूरी लेकर की जा सकती है.
रक्षा क्षेत्र के लिए उन मामलों में ऑटोमेटिक रूट से 49 फीसदी से ऊपर भी एफडीआई की अनुमति दी गई है जिनसे देश को मॉर्डन टेक्नोलॉजी मिल सकती है. रक्षा क्षेत्र के लिए एफडीआई की सीमा को शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत छोटे हथियारों और अन्य युद्ध सामग्रियों गोला बारूद आदि बनाने वाले उद्योगों पर भी लागू किया गया है.
(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)