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फेसबुक के एक पूर्व कर्मचारी ने 12 नवंबर को दिल्ली विधानसभा की पीस और हार्मनी कमेटी को कथित तौर पर बताया, "फेसबुक के टॉप अधिकारियों के लगातार दखल की वजह से कम्युनिटी गाइडलाइन्स से समझौता किया गया."
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, कमेटी के अध्यक्ष और AAP नेता राघव चड्ढा ने एक बयान जारी कर कहा, "गवाह ने अपने बयान में फेसबुक की इंटरनल फंक्शनिंग को लेकर कई खुलासे किए और कंपनी के ग्लोबल और रीजनल स्तर पर संगठनात्मक संरचना पर जानकारी दी."
बयान के मुताबिक, पूर्व कर्मचारी मार्क लुकी ने ये आरोप भी लगाए कि कंपनी में टॉप मैनेजमेंट पोजीशन पर 'अच्छे सरकारी और राजनीतिक संबंधों' वाले लोगों को चुना जाता है.
कमेटी ने कहा, "लुकी ने अपने बयान में बताया कि सरकार से मधुर संबंध, खास राजनीतिक संबंध या सरकार में लॉबिंग पर अच्छी पकड़ रखने वालों को कंपनी में महत्वपूर्ण पद दिए गए."
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्क लुकी का कहना था कि दिल्ली हिंसा और म्यांमार नरसंहार 'आसानी से टाला जा सकता था' अगर फेसबुक की तरफ से ' तुरंत और सक्रिय' कार्रवाई की गई होती.
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