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दिल्ली दंगों की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में कुछ दिन पहले पूर्व आईपीएस जूलियो रिबेरो ने पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव को एक खत लिखकर 'निष्पक्ष' जांच सुनिश्चित करने को कहा था. रिबेरो को पुलिस कमिश्नर ने खुद जवाब भी दिया था. अब 26 पूर्व आईपीएस अफसरों ने दिल्ली पुलिस का बचाव करते हुए जूलियो रिबेरो को खत लिखा है. खत में रिबेरो और 'उनके सहयोगियों' की उमर खालिद का समर्थन करने पर आलोचना की गई है.
खत में आईपीएस अफसरों ने लिखा कि दिल्ली पुलिस को ऐसे किसी भी इंसान की भूमिका की जांच करने का अधिकार और दायित्व है, और कस्टोडियल इनवेस्टीगेशन तो कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है.
खत में कहा गया, "आरोपी के कानून के तहत अधिकार हैं कि वो अग्रिम जमानत या जमानत ले सकता है, जैसा कि केस हो, और एक निष्पक्ष सुनवाई उसका अधिकार है जहां वो खुद को निर्दोष साबित कर सकता है."
इस खत पर साइन करने वालों में पूर्व आईपीएस अफसर बीएल वोहरा, पीसी डोगरा, अलोक श्रीवास्तव, एस गोपीनाथ, प्रवीण दीक्षित, उमेश कुमार शामिल हैं. अफसरों ने लिखा कि रिबेरो के खत पुलिस का मनोबल तोड़ सकते हैं.
जूलियो रिबेरो ने दिल्ली दंगे की जांच 'ठीक से न होने' को लेकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर को खत लिखा था. कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने जवाबी खत में रिटायर्ड सीनियर पुलिस अफसर को ये भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि दिल्ली दंगों की जांच साफगोई से हो रही है और दिल्ली पुलिस संविधान के दायरे में रहकर काम कर रही है.
जूलियो रिबेरो ने अपने खत में मौजूदा जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि 'दिल्ली पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है और हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ जानबूझकर संज्ञेय अपराध दर्ज नहीं कर रही.'
'अन्यायपूर्ण' जांच की आलोचना करते हुए रिबेरो ने लिखा कि 'सच्चे देशभक्तों' को आपराधिक मामलों में उलझाया गया है.
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