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जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और मशहूर नौकरशाह जगमोहन मल्होत्रा का निधन हो गया है. उन्हें अधिकतर सिर्फ जगमोहन के नाम से बुलाया जाता था. जगमोहन को अगर किसी बात के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है, तो वो उनके जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल के तौर पर दो कार्यकाल हैं. उन्हीं के कार्यकाल के दौरान घाटी में मिलिटेंसी में तेजी आई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 93 साल के जगमोहन का दिल्ली में निधन हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने उनके निधन पर शोक जताया है. एक समय संजय गांधी के करीबी कहलाने वाले जगमोहन ने बाद में बीजेपी जॉइन कर ली थी.
साल 1962 में आईएएस बने जगमोहन सबसे पहले इमरजेंसी के समय विवादों में आए थे. उस समय वो दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (DDA) के वाइस-चेयरमैन थे. 1975 आते-आते वो संजय गांधी के करीब आ गए थे.
जगमोहन पर तुर्कमान गेट घटना में शामिल होने का भी आरोप लगा था. इस घटना में स्लम्स हटाने के विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस ने गोली चला दी थी. हालांकि, जगमोहन ने इसमें किसी भी तरह से शामिल होने से इनकार कर दिया था.
जगमोहन सबसे पहले बार 1984 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने थे. उनके कार्यकाल के दौरान मिलिटेंसी में तेजी आई थी. हालांकि, तब तक हालात बेकाबू नहीं हुए थे. 1989 में वो वापस दिल्ली चले गए थे.
इस दौरान जगमोहन पर विरोध को बर्बरता से कुचलने और पुलिसिया शासन चलाने के आरोप लगे थे. हालांकि, उन्हें कश्मीरी पंडितों पर हमले रोकने का श्रेय दिया जाता है.
जगमोहन का दूसरा कार्यकाल सिर्फ 127 दिन ही चला था. मीरवाइज मौलवी मोहम्मद फारूक की हत्या के बाद उनके जनाजे में शामिल लोगों पर BSF ने गोली चलाई थी. कहा जाता है कि इस घटना में करीब 50 लोगों की मौत हो गई थी. केंद्र सरकार को जगमोहन को वापस दिल्ली बुलाना पड़ा था.
जगमोहन को 1971 में पद्म श्री, 1977 में पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
जगमोहन दिल्ली और गोवा के उपराज्यपाल भी रह चुके थे.
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