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(ये आर्टिकल सबसे पहले 15 अगस्त, 2016 को पब्लिश किया गया था. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर इसे फिर से 21 मई 2024 को पब्लिश किया गया है)
वरिष्ठ पत्रकार नीना गोपाल ने पूर्व प्रधामंत्री राजीव गांधी की मौत से ठीक पहले उनका इंटरव्यू लिया था. अपने इंटरव्यू में ही राजीव ने इस बात की आशंका जताई थी कि उनकी हत्या की जा सकती है. श्रीलंका के अलगाववादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) का एक बड़ा नेता भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का एजेंट था. उसे 1989 में भारतीय सेवा में भर्ती किया गया था. यह नेता लिट्टे के सर्वोच्च नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरण के बाद संगठन में नंबर दो की हैसियत तक पहुंचा.
वरिष्ठ पत्रकार नीना गोपाल ने अपनी किताब ‘द असेसिनेशन ऑफ राजीव गांधी’ में यह दावा किया है. नीना का कहना है कि गोपालास्वामी महेंद्रा राजा उर्फ महाट्टया खुफिया एजेंसी रॉ की रिसर्च एंड एनलिसिस विंग का जासूस था.
कहा जाता है कि लिट्टे को पता चल गया था कि भारतीयों को 1993 में तमिल टाइगर के एक जहाज के बारे में जानकारी देने वाला महाट्टया ही था. जहाज पकड़े जाने के कारण जाफना के लिट्टे कमांडर किट्टू को जान से हाथ धोना पड़ा था, जोकि प्रभाकरण का बचपन का दोस्त था.
आखिरकार 19 महीने बाद दिसंबर 1994 में उसे जान से मार दिया गया. उसके साथ के 257 लोगों को भी मौत की सजा दी गई. इनके शवों को गड्ढे में डालकर आग लगा दी गई. शवों के साथ यह सलूक लिट्टे की कार्यप्रणाली का हिस्सा था.
अपनी किताब में नीना बताती हैं कि लिट्टे में रॉ द्वारा अपना एजेंट सफलतापूर्वक घुसाने के बावजूद भारतीय सेना, सिविलियन इंटेलीजेंस और उसके उच्चाधिकारियों में कोई तारतम्य नहीं था.
श्रीलंका की सेना ने आखिरकार मई 2009 में लिट्टे को कुचलने में कामयाबी हासिल की. लेकिन इस आंदोलन के शुरू होने के 30 सालों बाद आखिरी समय में हुए भीषण संघर्ष में हजारों लोग मारे गए थे.
21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में लिट्टे की आत्मघाती महिला हमलावर के हाथों मारे जाने के समय तक नीना, राजीव गांधी के साथ थीं. उन्होंने किताब में इसका जिक्र किया है कि राजीव के सभा स्थल में न के बराबर सुरक्षा इंतजाम थे.
उन्होंने किताब में लिखा है कि जैसे लगता है कि राजीव को अपनी मौत का आभास हो गया था. उन्होंने इंटरव्यू में कहा था कि जब कभी भी दक्षिण एशिया का कोई नेता उठता है, अपने देश के लिए कुछ करता है, उसका विरोध होता है, हमला होता है, उसे मार दिया जाता है.
राजीव ने इंटरव्यू में यह बात कही और कुछ ही देर के बाद उनकी हत्या हो गई.
(ये आर्टिकल सबसे पहले 15 अगस्त, 2016 को पब्लिश किया गया था. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर इसे दोबारा पब्लिश किया जा रहा है.)
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