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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि लोकसभा की सीटें 543 से बढ़ा कर 1000 और राज्यसभा की सीटें भी बढ़ाई जानी चाहिए. मुखर्जी ने इसके पीछे यह दलील दी कि भारत में निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के लिए वोटर्स की संख्या बहुत ज्यादा है. उन्होंने सत्तारूढ़ दलों को ‘बहुसंख्यकवाद’ के खिलाफ चेतावनी भी दी. उन्होंने कहा कि लोगों ने उन्हें संख्यात्मक बहुमत दिया होगा, लेकिन अधिकतम मतदाताओं ने कभी किसी एक पार्टी को समर्थन नहीं दिया.
इंडिया फाउंडेशन की तरफ से आयोजित अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति के मौके पर भाषण देते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने ये बात कही. उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने पर अपना संदेह भी जताया. उन्होंने कहा,
उन्होंने कहा कि आदर्श रूप से इसे (लोकसभा में सदस्यों की संख्या) बढ़ा कर 1000 कर दिया जाना चाहिए. 2012 से 2017 तक राष्ट्रपति रहे मुखर्जी ने नया संसद भवन बनाए जाने के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बहुत हैरानी होती है कि नए संसद भवन से भारत में संसदीय व्यवस्था के कामकाज में कैसे मदद मिलेगी या कैसे सुधार होगा.’’
मुखर्जी ने कहा कि अगर लोकसभा की सीटें बढ़कार 1000 की जाती है तो सेंट्रल हॉल को निचला सदन बनाया जा सकता है और राज्यसभा को मौजूदा लोकसभा में स्थानांतरित किया जा सकता है. इस दौरान मुखर्जी ने वाजपेयी की आम सहमति बनाने वाले नेता के तौर पर तारीफ की. मुखर्जी ने कहा कि वाजपेयी ने सबको साथ लेकर काम किया. उन्होंने कहा कि 1952 से लोगों ने अलग-अलग पार्टियों को मजबूत जनादेश दिया है लेकिन कभी भी एक पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट नहीं दिए हैं. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘चुनावों में बहुमत आपको एक स्थिर सरकार बनाने का अधिकार देता है.’’
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