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RSS के कार्यक्रम में जाने को लेकर प्रणब मुखर्जी ने तोड़ी चुप्पी

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 जून को नागपुर में RSS के एक प्रोग्राम में शिरकत करने वाले हैं.

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
(फोटोः PTI)

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नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में जाने पर मचे विवाद के बीच पहली बार पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चुप्पी तोड़ी है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस बारे में कई लोगों ने पूछा, लेकिन मैं जवाब नागपुर में दूंगा. उन्होंने कहा कि वे संघ के कार्यक्रम में जाने पर अभी कुछ भी नहीं कहना चाहते हैं.

उन्होंने बंगाली भाषी अखबार आनंद बाजार पत्रिका को शनिवार को दिए इंटरव्यू में कहा...

आरएसएस कार्यक्रम को लेकर मुझे कई चिट्ठियां मिली हैं. कई फोन कॉल्स आए हैं लेकिन मैंने अब तक किसी का भी जवाब नहीं दिया है. जो भी बोलना होगा, वो 7 जून को बोलूंगा.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अगले महीने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक प्रोग्राम में शिरकत करने वाले हैं.

प्रणब मुखर्जी को संघ मुख्‍यालय में दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है. प्रणब मुखर्जी ने आमंत्रण स्वीकार भी कर लिया है. ये प्रोग्राम 7 जून को होना है. आरएसएस के शिक्षा विभाग के इस कार्यक्रम में 45 साल से कम आयु के 800 से ज्यादा कार्यकर्ताओं के 25 दिन से चल रहे कैंप का समापन पूर्व राष्ट्रपति करेंगे.
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RSS का न्योता स्वीकारने पर कांग्रेसी नाराज

वहीं RSS के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी के बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार करने के मुद्दे पर बहस छिड़ गई है. कांग्रेस के कई सीनियर लीडर जिनमें जयराम रमेश, सी के जाफर शरीफ, रमेश चेन्निथला शामिल हैं, उन्होंने मुखर्जी के RSS का निमंत्रण मंजूर किए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस के नेताओं ने प्रणब मुखर्जी के फैसले को ‘‘ धर्मनिरपेक्षता के हित'' में वापस लेने का आग्रह किया है. जयराम रमेश ने कहा, मैंने पूर्व राष्ट्रपति को लिखा कि उन जैसे विद्वान और सेक्युलर व्यक्ति को आरएसएस के साथ किसी तरह की नजदीकी नहीं दिखानी चाहिए.

प्रणब नागपुर जाएं और बताएं कि RSS की सोच में गलत क्या है: चिदंबरम

हालांकि, कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा,

अब जब उन्होंने संघ का न्योता स्वीकार कर लिया है, तो इस पर बहस का कोई मतलब नहीं है कि उन्होंने क्यों स्वीकार किया. उससे ज्यादा अहम बात यह कहनी है कि सर आपने न्योते को स्वीकार किया है तो वहां जाइए और उन्हें बताइए कि उनकी विचारधारा में क्या खामी है.
पी चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री

वहीं इस विवाद पर बीजेपी नेता नितिन गडकरी ने कहा, 'मुखर्जी का RSS का आमंत्रण स्वीकार करना एक अच्छी पहल है. राजनीतिक छुआछूत अच्छी बात नहीं है.' ऐसे में अब सबकी निगाहें 7 जून को होने वाले कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी क्या बोलेंगे इसपर टिकीं हैं.

ये भी पढ़ें- प्रणब दा के RSS हेडक्वार्टर जाने के पीछे सॉलिड पॉलिटिक्स है!

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