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मई और जून के दौरान, प्रवासी श्रमिकों के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत आवंटित 8 लाख मीट्रिक टन अनाज का केवल 13 फीसदी हिस्सा उन तक पहुंचा. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सरकारी आंकड़ों से यह बात सामने आई है.
कोरोना वायरस महामारी की वजह से पैदा हुए संकट के बीच कोई भी प्रवासी श्रमिक भूखा न रहे, इसे सुनिश्चित करने के लिए केंद्र ने 14 मई को मुफ्त अनाज योजना का ऐलान किया था. इसके तहत बिना राशन कार्ड वाले प्रवासी मजदूरों को भी प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न और प्रति परिवार एक किलोग्राम चना मुहैया कराने की घोषणा की गई थी. यह घोषणा 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक राहत पैकेज का हिस्सा थी.
मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 6.38 लाख मीट्रिक टन (मई और जून के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत आवंटित 8 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का 80 फीसदी उठाया), लेकिन उन्होंने 30 जून तक लाभार्थियों को केवल 1.07 लाख मीट्रिक टन ( आवंटित मात्रा का 13%) मुफ्त अनाज वितरित किया.
सबसे ज्यादा मात्रा - 1,42,033 मीट्रिक टन - उत्तर प्रदेश को आवंटित की गई थी, जिसने 1,40,637 मीट्रिक टन अनाज उठा भी लिया, लेकिन राज्य ने मई में लगभग 4.39 लाख लाभार्थियों को केवल 3,324 मीट्रिक टन (2.03 फीसदी) और जून में 2.25 लाख लाभार्थियों को अनाज वितरित किया.
आंकड़ों के मुताबिक, बिहार ने भी 86,450 मीट्रिक टन का 100 फीसदी कोटा उठाया, लेकिन मई में लगभग 3.68 लाख लाभार्थियों को केवल 1.842 मीट्रिक टन (2.13%) वितरित किया और जून में किसी को भी नहीं दिया.
ग्यारह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने जून के दौरान लाभार्थियों को उनके द्वारा उठाए गई मात्रा का 1 फीसदी भी वितरित नहीं किया. इनमें आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, झारखंड, लद्दाख, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और त्रिपुरा शामिल हैं.
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