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‘किसान की पोती’ दिशा रवि की कहानी, उन्हें जानने वालों की जुबानी

दिशा अगले पांच दिन पुलिस कस्टडी में बिताएंगी

प्रज्वल भट्ट
भारत
Published:
किसान की पोती दिशा रवि की कहानी, उन्हें जानने वालों की जुबानी
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किसान की पोती दिशा रवि की कहानी, उन्हें जानने वालों की जुबानी
(फोटो: Disha/Instagram)

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बेंगलुरु के माउंट कार्मल कॉलेज की एक कैंपस स्क्रीनिंग में जानवरों के साथ बर्बरता की एक डॉक्यूमेंट्री देखने तक दिशा रवि एक रेगुलर स्टूडेंट थीं. दिशा के दोस्त उन्हें सामाजिक गतिविधियों से सरोकार रखने वाला बताते हैं, जो हमेशा से शेफ बनने का सपना देखती थी. हालांकि, दिशा को लगता था कि पेरेंट्स कभी उन्हें कलिनरी स्कूल नहीं जाने देंगे.

लेकिन उस एक डॉक्यूमेंट्री ने दिशा की जिंदगी बदल दी. मीट इंडस्ट्री की बर्बरता ने दिशा की आंखें खोल दीं और वो पर्यावरण एक्टिविज्म के रास्ते पर चल पड़ीं. इस एक्टिविज्म की वजह से ही शायद अब 21 साल की दिशा दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में हैं.

13 फरवरी की शाम को दिल्ली पुलिस दिशा के नॉर्थ बेंगलुरु स्थित घर पहुंची, उन्हें फ्लाइट से दिल्ली ले गई और गिरफ्तार कर लिया. आरोप? ग्रेटा थन्बर्ग ने जो 'टूलकिट' शेयर की थी, दिशा पर उसे प्लान और एडिट करने का आरोप है. टूलकिट और कुछ नहीं बल्कि गूगल डॉक्युमेंट्स होते हैं, जो सोशल मीडिया कैंपेन या प्रदर्शन आयोजित करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दिशा के खिलाफ राजद्रोह और साजिश का केस दर्ज कर लिया है. पुलिस का आरोप है कि टूलकिट का इस्तेमाल भारत की छवि खराब करने के लिए हुआ है. दिशा अगले पांच दिन पुलिस कस्टडी में बिताएंगी.

बेंगलुरु में सफाई और पेड़ लगाने के अभियानों में दिशा एक जाना-पहचाना चेहरा हैं. दिशा क्लाइमेट चेंज पर काम करने वाले उत्साही चेहरों में से एक हैं. उनकी गिरफ्तारी से दोस्त और परिवार हैरान रह गए हैं क्योंकि वो दिशा को एक यंग और डेडिकेटेड क्लाइमेट कैंपेनर के तौर पर याद करते हैं.

बेंगलुरु में पर्यावरण संबंधी समूहों में वॉलंटियर करने वाले मुकुंद गौड़ा कहते हैं, "वो तब सिर्फ 19 की थी जब मैं उससे दो इवेंट में मिला था. एक झील की सफाई का कार्यक्रम था और दूसरा पेड़ न काटने को लेकर था. एक व्यक्ति के तौर पर दिशा बहुत समझदार थी. उसने समझाया कि कैसे क्लाइमेट चेंज मानवीय गतिविधियों से जुड़ा है."

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दिशा के ग्रैंडपैरेंट किसान थे

पर्यावरण एक्टिविज्म शुरू करने से पहले दिशा बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की स्टूडेंट थीं. उनकी एक करीबी दोस्त कहती हैं, "बाकी स्टूडेंट्स की तरह दिशा भी बॉलीवुड सॉन्ग्स सुनती थी, स्किनकेयर और फैशन की बात करने वाले YouTubers को फॉलो करती थी, नेटफ्लिक्स देखती थी, दोस्तों और अपने डॉग सैमी के साथ चिल करती थी. उसे खाना बनाने से प्यार था और वो वीगन डिशों के साथ एक्सपेरिमेंट करती रहती थी."

“दिशा की रोल मॉडल जेन गुडॉल है. वो एक प्राइमेटोलॉजिस्ट हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी एशिया और अफ्रीका के जंगलों में बिताई है और उन्हें दुनिया में चिम्पांजी पर सबसे बड़े एक्सपर्ट्स में से एक माना जाता है. दिशा का सपना था कि वो टर्टल और मरीन लाइफ के साथ काम करे और इकोलॉजिकल कंजर्वेशन और रिस्टोरेशन में करियर बनाए.” 
दिशा की एक करीबी दोस्त

दिशा की दोस्त कहती हैं कि 'उनके ग्रैंडपैरेंट किसान थे और दिशा ने उन्हें जूझते हुए देखा है और क्लाइमेट की वजह से फूड प्रोडक्शन कैसे प्रभावित होता है, ये भी दिशा ने देखा है.'

जनवरी 2019 में दिशा ने फ्राइडेज फॉर फ्यूचर (FFF) नाम की संस्था के साथ वॉलंटियर काम शुरू किया था. ये संस्था क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट ग्रेटा थन्बर्ग ने शुरू की थी. सितंबर 2019 में बेंगलुरु में हुए प्रदर्शनों में भी दिशा रवि शामिल हुई थीं.

पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने जब दिशा पर देश के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया तो दिशा ने कोर्ट से कहा, “मैं सिर्फ किसानों का समर्थन कर रही थी. मैंने उनका समर्थन किया क्योंकि वो हमारा भविष्य है और हम सभी को खाने की जरूरत है.”

पर्यावरणविदों को दिशा पर 'गर्व'

प्रमुख पर्यावरणविदों ने 14 फरवरी को दिशा की गिरफ्तारी की निंदा की थी. चेन्नई स्थित पर्यावरणविद नित्यानंद जयरमन ने कहा, "मैं दिशा जैसे कई नौजवान लोगों को जानता हूं और मुझे उन पर गर्व होता है जो इस बात से चिंतित है कि कैसे सरकार उनके भविष्य की बजाय कॉर्पोरेशंस को प्राथमिकता दे रही है और जरूरी मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है. इन्हीं लोगों ने संविधान के सिद्धांतों को दिल में बसाया है. इन पर केस करना और इनकी आवाज दबाना निंदनीय है."

नित्यानंद कहते हैं कि पर्यावरणविदों को एनवॉयरनमेंटल इम्पैक्ट असेसमेंट (EIA) 2020 के समय पहले टारगेट किया गया था.

“सरकार ने नौजवानों को EIA के समय प्रदर्शनों से टारगेट किया है, जब संगठनों और कई वेबसाइट के खिलाफ UAPA लगाया गया था.”
पर्यावरणविद नित्यानंद जयरमन

उन्होंने कहा, "लोकतंत्र इस तरह नहीं चल सकता और सरकार को उनसे बात करनी चाहिए. मेरे जैसे बूढ़े लोगों को नौजवानों की बात सुननी चाहिए और उनकी महत्वकांक्षाओं को समझना चाहिए."

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