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तेल बेचने से ‘पेन किंग’ तक का सफर,जानिए कोठारी ग्रुप की पूरी कहानी

पिता ने छोटे स्तर पर शुरू किया था कारोबार, फिर दोनो भाइयों ने संभाला और अलग कर लिए रास्ते...

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1973 में हुई थी कोठारी ग्रुप के कारोबार की शुरुआत
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1973 में हुई थी कोठारी ग्रुप के कारोबार की शुरुआत
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एक जमाने में 'लिखते लिखते लव हो जाये' पंचलाइन रोटोमैक कंपनी की पहचान थी. लेकिन आज इसके मालिक विक्रम कोठारी के बंगले पर भारी पुलिस बल और मीडिया का जमावड़ा है. कानपुर के पॉश तिलकनगर इलाके में 4000 गज से ज्यादा क्षेत्र में बने रसूखदार कारोबारी विक्रम कोठरी के बंगले 'संतुष्टि' में आजकल सन्नाटा पसरा हुआ है.

बंगले के दरवाजे बंद हैं लेकिन झरोखों से शानदार लॉन और कई बड़ी गाड़ियां खड़ी नजर आती हैं. कभी कभार सीबीआई की एकाध गाड़ी तेजी से बाहर निकलती है और दरवाजे फिर बंद हो जाते हैं. इस वक्त विक्रम कोठारी बैंक लोन में हेराफेरी के आरोपों का सामना कर रहे हैं.

1973 में पड़ी साम्राज्य की नींव

विक्रम कोठारी के पड़ोसी और शहर के सिविल डिफेंस के मुख्य वार्डेन राजेंद्र कुमार सफ्फड़ ने बताया कि विक्रम और उनके भाई दीपक के पिता मनसुख भाई कोठारी ने पान मसाले के साम्राज्य की नींव साल 1973 में डाली थी. इससे करीब 10 साल पहले मनसुख भाई गुजरात से कानपुर आये थे और शहर के व्यापारियों के इलाके नयागंज में रहते थे. वह एक झोले में नारियल का तेल लेकर दुकानों पर बेचते थे. बाद में उन्होंने पान मसाले का काम शुरू किया. उन्होंने पाउच में पान मसाला बेचना शुरू किया. उससे पहले डिब्बे और पैकेट में पान मसाला मिलता था.

देश के जाने-पहचाने कारोबारी घरानों में से एक कोठारी ग्रुप के उत्पाद ‘पान पराग' की वजह से ही कानपुर को ‘पान मसाला सिटी' का तमगा मिला था. कोठारी समूह ने पान पराग अगस्त 1973 में बाजार में उतारा था.

जल्दी ही पान पराग ब्रांड काफी चर्चित हो गया. इस प्रोडक्ट के विज्ञापन में और अशोक कुमार के साथ शम्मी कपूर का डायलॉग ‘‘बारातियों का स्वागत पान पराग से कीजिए’’ भी काफी चर्चित हुआ था. अस्सी के दशक तक इस ब्रांड ने पान मसाले की दुनिया पर राज किया.
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बेटों ने संभाली कमान

सफ्फड़ के मुताबिकआगे चलकर मनसुख भाई के दो बेटे विक्रम कोठारी और दीपक कोठारी भी कारोबार की दुनिया में उतरे. इसके बाद कोठारी समूह ने साल 1992 में रोटोमैक पेन कंपनी बनाई और 1995 में यस मिनरल वॉटर लांच किया. इन दोनों ही कंपनियों ने मार्केट में अच्छी पकड़ बनाई और कोठरी ग्रुप को और मजबूत बना दिया.

दोनों भाइयों के रास्ते अलग हुए

सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन 1999 के आसपास दोनों भाइयों की राहें अलग हो गयीं. बड़े भाई विक्रम कोठारी ने स्टेशनरी का कारोबार संभाला जबकि छोटे भाई दीपक कोठारी ने पान मसाला का कारोबार संभाला. रोटोमैक पेन के जरिए बाजार में ‘पेन किंग' का तमगा पाने वाले विक्रम कोठारी 'रोटोमैक ग्लोबल' के सीएमडी हैं. विक्रम कोठारी ने ही साल 1992 में रोटोमैक ब्रांड शुरू किया था. इस कंपनी के 'फाइटर' ब्रांड पेन ने भी काफी अच्छा कारोबार किया.

सामाजिक कार्यों में अहम योगदान की वजह से लायंस क्लब ने विक्रम कोठारी को साल 1983 में गुडविल एंबेसडर और बाद में लायंस क्लब का इंटरनेशनल निदेशक बनाया था. कभी सलमान खान और रवीना टंडन जैसे सितारे रोटोमैक कंपनी के ब्रांड एंबेसडर थे.

ये कंपनियां हैं विक्रम कोठारी के पास

मौजूदा समय में विक्रम कोठारी के कारोबारी साम्राज्य में रोटोमैक एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, कोठारी फूड्स एंड फ्रैगरेंसेज, क्राउन एल्बा राइटिंग इंस्ट्रूमेंट्स, मोहन स्टील्स लिमिटेड, आरएफएल इंफ्रास्ट्रक्टरर्स प्राइवेट लिमिटेड, रेव इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड और कानपुर और लखनऊ में रियल इस्टेट कारोबार शामिल हैं.

(इनपुट: भाषा)

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