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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए फ्रांस में हैं. इस दौरान बैठक से अलग पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच द्विपक्षीय बातचीत होने की संभावना है. दोनों नेताओं के बीच कश्मीर मुद्दे से लेकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी को तक पर बातचीत हो सकती है. ऐसे में दुनियाभर के देशों की नजर इस बैठक पर रहेगी.
खास बात ये है कि G-7 में फ्रांस, जर्मनी, यूके, इटली, अमेरिका, कनाडा और जापान शामिल हैं. भारत इस ग्रुप में नहीं है. भारत को फ्रांस ने खास तौर से आमंत्रित किया है.
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान, भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की कोशिश में है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, ट्रंप से लेकर यूएनएससी में तक मुद्दा उठा चुके हैं. डोनाल्ड ट्रंप खुद भारत-पाक के बीच तनाव कम करने को लेकर बयान दे चुके हैं. साथ ही ट्रंप ये भी साफ कर चुके हैं कि वो कश्मीर के हालात पर और भारत-पाक के बीच तनाव कम करने में मदद करने के लिए जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी से बातचीत करेंगे. हालांकि, भारत ने अमेरिका से साफ कह दिया है कि कश्मीर हमारा आंतरिक मुद्दा है.
बता दें कि, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से पाकिस्तान ने भारत के साथ सारे व्यापारिक संबंध पहले ही खत्म कर लिए हैं. साथ ही पाकिस्तान ने अपने दूतावासों में ‘कश्मीर स्पेशल सेल’ बनाने का फैसला लिया है.
G-7 शिखर सम्मेलन के इतर मोदी-ट्रंप के बीच अफगानिस्तान पर भी बातचीत हो सकती है. डोनाल्ड ट्रंप हाल ही में कह चुके हैं कि सिर्फ अमेरिका ही अफगानिस्तान जैसे युद्धग्रस्त देश में आतंकवाद से लड़ाई लड़ रहा है. उन्होंने कहा है कि 7000 मील दूर होने के बावजूद सिर्फ अमेरिका ही अफगानिस्तान में आतंकवादियों से लड़ रहा है, लेकिन भारत, पाकिस्तान जैसे देश ठीक बगल में होने के बाद भी अफगानिस्तान में आतंकियों के खिलाफ खास कार्रवाई करते नहीं दिख रहे हैं.
आतंक के मुद्दे से अलग, आर्थिक मंदी पर भी मोदी-ट्रंप की बातचीत हो सकती है. भारत, अमेरिका, चीन समेत दुनियाभर के कई देश इन दिनों आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं. इससे निवेशकों, कंपनियों और उपभोक्ताओं के बीच बेचैनी का माहौल है. दुनियाभर की सरकारों को आर्थिक मंदी को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में आर्थिक मंदी से निपटने और कारगर कदम को लेकर ट्रंप-मोदी के बीच बातचीत हो सकती है.
ऐसी उम्मीद है कि ट्रंप, पीएम मोदी से अमेरिकी उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी घटाने को लेकर बातचीत कर सकते हैं. इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति के WTO में सुधार के प्रस्ताव पर चर्चा होने की संभावना है. ट्रंप कई बार विश्व व्यापार संगठन छोड़ने की धमकी दे चुके हैं. ट्रंप की WTO से शिकायत उसके विवाद सुलझाने के तरीके और किसी देश को विकासशील मानने के सिस्टम पर है.
‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के पैरोकार डोनाल्ड ट्रंप ये साफ-साफ कह चुके हैं कि भारत और चीन अब विकासशील देश नहीं है और वो विश्व व्यापार संगठन (WTO) से मिल रहे दर्जे का फायदा उठा रहे हैं. ट्रंप ने जोर देकर कहा है कि वह अब ऐसा आगे नहीं होने देंगे. अमेरिका और चीन में काफी समय से ‘ट्रेड वॉर’ चल रहा है, जिससे ट्रंप की ये धमकी के मायने समझ आते हैं.
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