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उत्तर प्रदेश की बागपत जिला जेल में कुख्यात माफिया प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. घटना के बाद जेल प्रशासन से लेकर राजधानी लखनऊ तक हड़कंप मच गया है. जेल के भीतर हुए इस सनसनीखेज हत्याकांड के बाद जेल सुरक्षा को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, मुन्ना बजरंगी की पूर्व बीएसपी विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के मामले में सोमवार को बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी. इसी सिलसिले में उसे रविवार को झांसी से बागपत लाया गया था. इसी दौरान बागपत जेल में ही उसकी हत्या कर दी गई.
जेल के भीतर हुई इस वारदात के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. जेलर और डिप्टी जेलर समेत पांच जेलकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.
इस पूरे मामले पर बात करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘इस मामले में जेलर को सस्पेंड कर दिया गया है. न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जेल परिसर के भीतर इस तरह की वारदात होना गंभीर मामला है. इस पूरे केस की गंभीरता के साथ जांच की जाएगी और जो भी दोषी होगें उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’
मुन्ना बजरंगी के वकील वी. श्रीवास्तव ने बताया कि उनके मुवक्किल (मुन्ना बजरंगी) को रविवार रात झांसी जेल से बागपत लाया गया था. सोमवार सुबह करीब 6.30 बजे जेल में ही बंद एक कैदी ने मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी और पिस्टल को गटर में फेंक दिया.
उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को मुन्ना बजरंगी की जान को खतरे के बारे में बताया था.
मुन्ना बजरंगी हत्याकांड में गैंगस्टर सुनील राठी का नाम सामने आया है. एडीजी जेल चंद्रप्रकाश ने कहा है, 'सुबह करीब 6 बजे बागपत जिला जेल में मुन्ना बजरंगी और सुनील राठी के बीच झगड़ा हुआ. इसी झगड़े के दौरान मुन्ना बजरंगी को गोली मारी गई. गैंगस्टर सुनील राठी ने मुन्ना को गोली मारने के बाद पिस्टल गटर में फेंक दी.'
उन्होंने कहा, 'यह जेल की सुरक्षा में गंभीर चूक का मामला है. जेलर उदय प्रताप सिंह, डेप्युटी जेलर शिवाजी यादव, हेड वॉर्डन अरजिन्दर सिंह और वॉर्डन माधव कुमार को सस्पेंड कर दिया गया है. इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होगी.'
बता दें, सुनील राठी के खिलाफ उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपराध के दर्जनों मामले दर्ज हैं. इनमें हत्या और रंगदारी के मामले शामिल हैं.
मुन्ना बजरंगी की सोमवार को बीएसपी के पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के मामले में पेशी होनी थी. कोतवाली क्षेत्र के गाधी गांव निवासी पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित ने बताया था कि उनके भाई नारायण दीक्षित रेलवे के ठेकेदार हैं. उन दोनों से सितंबर 2017 को झांसी जेल में बंद कुख्यात मुन्ना बजरंगी के नाम से फोन पर रंगदारी मांगी गई थी. आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ.
इस मामले में मुन्ना बजरंगी को बी-वारंट पर लेने के लिए अदालत में अर्जी लगाई गई थी. अनुमति मिलने पर पुलिस ने जेल में तलबी दाखिल की थी. सोमवार को उसकी अदालत में पेशी होनी थी. पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित और कुख्यात मुन्ना बजरंगी के परिजन पहले ही एक-दूसरे से जान का खतरा जता रहे थे. इस बीच पुलिस कड़ी सुरक्षा का दावा भी कर रही थी. लेकिन पेशी से पहले ही जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गई.
कुछ ही दिन पहले मुन्ना बजरंगी की पत्नी ने अपने पति की जान को खतरा बताया था. बजरंगी की पत्नी सीमा ने एसटीएफ पर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. उन्होंने कहा था कि उनके पति की जान को खतरा है.
मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा ने कहा था, "मेरे पति की जान को खतरा है. यूपी एसटीएफ और पुलिस उनका एनकाउंटर करने की फिराक में हैं. झांसी जेल में मुन्ना बजरंगी के ऊपर जानलेवा हमला किया गया. कुछ प्रभावशाली नेता और अधिकारी मुन्ना की हत्या करने का षड्यंत्र रच रहे हैं."
मुन्ना बजरंगी के खिलाफ उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में हत्या और रंगदारी से जुड़े मुकदमे दर्ज थे. साल 2009 में दिल्ली पुलिस ने मुन्ना बजरंगी को मुंबई के मलाड इलाके से गिरफ्तार किया था. ऐसा माना जाता है कि एनकाउंटर के डर से बजरंगी ने खुद ही गिरफ्तारी करवाई थी.
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