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उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी नेता आजम खान तथा उनके बेटे अब्दुल्ला खान को सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में फर्जीवाड़े के एक मामले में जमानत दे दी थी. लेकिन जमानत मिलने के तुरंत बाद रामपुर पुलिस ने संबंधित मामले में एक और आरोप पत्र दायर करते हुए दोनों पर आपराधिक साजिश की गैर जमानती धारा के तहत मामला दर्ज किया है .अब उन्हें जमानत के लिए एक नई अर्जी दाखिल करनी होगी.
साथ ही अदालत ने निर्देश दिया कि विरोधी पक्ष को 1.63 करोड़ रुपये हर्जाने में और 4.55 लाख रुपये प्रति महीने का भुगतान तब तक किया जाए जब तक कि कब्जा हटा नहीं लिया जाता.
आजम खान, उनकी विधायक पत्नी तजीन फातमा और बेटे अब्दुल्ला आजम ने पिछले साल फरवरी में अब्दुल्ला आजम खान के दो जन्म प्रमाण पत्र से संबंधित एक केस में रामपुर अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था.इसमें एक स्थानीय भाजपा नेता आकाश सक्सेना की शिकायत के आधार पर FIR दर्ज किया गया था.
लगभग 11 महीने जेल में बिताने के बाद पिछले साल दिसंबर में तजीन फातमा जमानत पर बाहर आ गई हैं, जबकि उनके पति आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला अभी भी सीतापुर जेल में बंद हैं.
एक अनुभवी राजनेता और मुलायम सिंह यादव के खास आजम खान का खराब वक्त तब शुरू हुआ जब उनके ड्रीम प्रोजेक्ट -जौहर विश्वविद्यालय- ने भूमि हथियाने, धन की हेराफेरी और दूसरे अवैध कामों की शिकायतों पर अधिकारियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया.
हालांकि उत्तर प्रदेश में नए शासन के बाद से यह यूनिवर्सिटी सभी गलत कारणों से समाचार में बना हुआ है.
2019 में माजरा आलियागंज गांव के स्थानीय लोगों की शिकायत के आधार पर दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज किए गए थे.उन्होंने यह आरोप लगाया था कि उन्हें उनकी जमीन से वंचित कर दिया गया और जमीन को यूनिवर्सिटी के कब्जे में ले लिया गया.
एक साल बाद, 2020 में जिला प्रशासन ने कब्जे की जमीन को अपने नियंत्रण में लिया और राजस्व रिकॉर्ड में मौजूद नामों के आधार पर इनमें से अधिकांश किसानों को उनकी जमीन वापस कर दी गई थी.
2009 में एक दूसरे मामले में स्थानीय पुलिस ने छापेमारी कर जौहर विश्वविद्यालय से 2,000 से अधिक दुर्लभ, चोरी की किताबें बरामद की. स्थानीय पुलिस विभाग ने यह कार्रवाई तब की थी जब रामपुर में 250 साल पुराने ओरिएंटल कॉलेज (जिसे पहले मदरसा आलिया के नाम से जाना जाता था) के प्रिंसिपल ने 9000 से अधिक किताबों की चोरी के संबंध में FIR दर्ज कराया था.
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा रिलीज किए गए डेटा के मुताबिक समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के खिलाफ रामपुर में अब तक 98 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 81 मामले 20 मार्च, 2017 के बाद दर्ज किए गए हैं.
यह केस IPC की एक्सटोर्शन, क्रिमिनल ट्रेसपास, फ्रॉड और जमीन हथियाने जैसे गंभीर धाराओं और पीपल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट की संबंधित धाराओं में दर्ज किए गए हैं.
रामपुर में उनके खिलाफ दर्ज किए गए 98 मामलों में से 81 में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, वहीं जांच एजेंसियों ने सात मुकदमों बिना धाराएं लगाए अंतिम रिपोर्ट जमा कर दीं.
2017 के पहले उनके ऊपर रामपुर में जो 17 मुकदमे दर्ज हुए थे, उनमें से 9 राज्य सरकार ने किए थे. रामपुर के अलावा मुरादाबाद में तीन और फिरोजाबाद में एक मुकदमे में उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है.
इस साल मार्च की शुरुआत में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के नेतृत्व में जौहर यूनिवर्सिटी से लखनऊ तक 9 दिन लंबी यात्रा निकाली गई थी, जिसका मकदस आजम खान के साथ एकजुटता दिखाना था. समाजवादी पार्टी ने तब बीजेपी पर दुश्मनी की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि कई केसों में आजम खान को फंसाया गया है.
पार्टी का दावा है कि आने वाले चुनाव में भी आजम खान अहम भूमिका निभाएंगे. जूही सिंह ने कहा, "वे पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं. रामपुर का हर कार्यकर्ता की पहचान उनसे जुड़ी है. वह उनका इलाका है, जिसे उन्होंने विकसित किया है. मुझे नहीं लगता कि पार्टी कोई ऐसा फैसला लेगी जिसमें वे शामिल ना हों."
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