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बहुचर्चित घटनाक्रम में पाकिस्तान से साल 2015 में भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता को देश के अलग-अलग सूबों के दो और परिवारों ने अपनी लापता बेटी बताया है. इस दावे के बाद गीता के बिछड़े परिजनों का पता लगाने को लेकर पिछले तीन साल से जारी सरकारी हलचल फिर तेज हो गयी है.
गीता फिलहाल मध्यप्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और नि:शक्त कल्याण विभाग की देख-रेख में इंदौर की एक एनजीओ के आवासीय परिसर में रह रही हैं. यहां के एक अधिकारी बी. सी. जैन ने गुरुवार को बताया कि हाल ही में बिहार के दरभंगा जिले और राजस्थान के चुरू जिले के दो परिवारों ने उनसे सम्पर्क कर गीता को अपनी बेटी बताने का दावा किया है.
बी. सी. जैन ने बताया, "हमने दोनों परिवारों को सलाह दी है कि वो गीता की वल्दियत के संबंध में उचित सबूतों के साथ विदेश मंत्रालय को अपना दावा भेजें. अगर हमें विदेश मंत्रालय से इजाजत मिलती है, तो हम इन परिवारों को गीता से मिलवा देंगे."
अब तक देश के अलग-अलग शहरों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं. लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का दावा फिलहाल साबित नहीं हो सका है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले 20 नवंबर को मीडिया से बातचीत के दौरान गीता को हिंदुस्तान की बेटी बताते हुए कहा था, “देश में गीता के परिवारवाले मिलें या न मिलें, वो दोबारा पाकिस्तान कभी नहीं भेजी जाएगी. उसकी देखभाल भारत सरकार ही करेगी.”
बता दें, गीता गलती से सीमा लांघने के कारण दशक भर पहले पाकिस्तान पहुंच गयी थी. विदेश मंत्रालय की दखलअंदाजी के बाद वो 26 अक्टूबर 2015 को अपने वतन लौटी थी. इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलायी जा रही गैर सरकारी संस्था (NGO) के आवासीय परिसर में भेज दिया गया था. तब से वो इसी परिसर में रह रही हैं.
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