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गाजियाबाद के लोनी गांव में रहने वाले अब्दुल समद सैफी के साथ हुई पिटाई वाले मामले में पुलिस ने वहां के स्थानीय राजनेता उम्मेद पहलवान इदरिसी को 19 जून को गिरफ्तार कर लिया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ये गिरफ्तारी घटना को सांप्रदायिक रूख देने की वजह से की गई है. उम्मेद पहलवान ने ही पीड़ित अब्दुल समद के साथ इस मामले को लेकर फेसबुक लाइव किया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एसएसपी गाजियाबाद अमित पाठक ने बताया है कि
इसके अलावा न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए गाजियबाद के DIG ने कहा-
पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है उसके मुताबिक पहलवान पर आरोप है कि उन्होंने इस मारपीट की घटना का वीडियो बनाया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. पहलवान पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153A (धर्म के आधार पर वैमनस्थता फैलाना), 295A (धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश), 504 (शांति भंग करने की सोची समझी कोशिश), 505 (भड़काने के लिए अफवाहें, बयान फैलाना.) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
गाजियाबाद पुलिस ने इसके अलावा 9 दूसरे लोगों पर भी एफआईआर की है, इसमें ट्विटर भी शामिल है. इसके अलावा कई सारे पत्रकार और मीडिया संस्थान जैसे द वायर, राना अयूब, मोहम्मद जुबैर, डॉ शमा मोहम्मद, सबा नकवी, मसकूर उस्मानी और सलमान निजामी शामिल हैं.
इन लोगों पर भी आरोप है कि इन्होंने बिना तथ्य देखे हुए पूरी घटना को सांप्रदायिक रंग दिया. वहीं ट्विटर पर एफआईआर करने के पीछे पुलिस ने कहा कि- 'ट्विटर ने वीडियो को वायरल होने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया'.
हाल ही में सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो क्लिप में बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों ने उनकी पिटाई की और उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा, लेकिन गाजियाबाद पुलिस ने घटना के पीछे कोई साम्प्रदायिक कारण होने से इनकार किया और कहा कि आरोपी उस ताबीज से नाखुश थे जो सैफी ने उन्हें बेचा था.
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