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गोवा की बीजेपी सरकार में अजीब से हालात बने हुए है. पिछले 7 महीने से राज्य के मुखिया यानी सीएम मनोहर पर्रिकर बीमारी से जूझ रहे हैं. विदेश से इलाज करा वापस आने के बाद एक बार फिर इलाज के लिए राज्य छोड़ चुके हैं. रिमोट से सरकार चल रही है, यहां तक की बात तो सबको पता है. लेकिन जब राज्य में अचानक से दो मंत्रियों के इस्तीफे हुए तो ये बात गोवा के लोगों समेत किसी की नहीं पची.
दरअसल, कैबिनेट मंत्री फ्रांसिस डिसूजा और पांडुरंग मडकईकर को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया है. ये दोनों भी बीमारी से जूझ रहे थे. अब ये सवाल पूछा जा रहा है कि अगर ये बीमारी का हवाला देकर मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है तो मुख्यमंत्री की क्यों नहीं?
क्या गोवा का 'राजकाज' पर्रिकर की गैरमौजूदगी में सही से चल रहा है. जवाब है नहीं. गोवा के माइनिंग सेक्टर का सवाल, सरकारी भर्ती का सवाल हो या राज्य की दूसरी योजनाएं हों, सीएम पर्रिकर के न होने से कई प्रोजेक्ट लटके हुए हैं. माइनिंग सेक्टर से हजारों लोग जुड़े हुए हैं, इस सेक्टर में प्रोजेक्ट्स के लटकने से बेरोजगारी की स्थिति बन गई है.
वैसे माइनिंग पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है लेकिन गोवा सरकार अगर ठोस कदम उठाती है तो मसला सुलझ सकता है. टूरिज्म के लिए देशभर में मशहूर गोवा में पर्यटकों की सहूलियत के लिए प्राइवेट टैक्सी में मीटर लगाने की मांग पिछले कई महीनों से हो रही है, लेकिन इस पर भी कोई फैसला नहीं हो सका है.
सिर्फ इतना ही नहीं पर्रिकर के न होने की वजह से कैबिनेट की बैठक तक नहीं हो रही है. ऐसा भी नहीं है कि कम से कम एक कार्यवाहक सीएम ही घोषित कर दिया गया हो. मुख्यमंत्री ना होने से सबसे ज्यादा असर प्रशासन पर पड़ा है. अधिकारियों पर जो दबाव होना चाहिए, वो नहीं दिखता. छोटा से छोटा फैसला लेने में भी देरी हो रही है, जिसका खामियाजा गोवा और राज्य के विकास पर पड़ रहा है. विपक्ष कह रहा है कि राज्य रिमोट से चल रहा है. ऐसे में पार्टी जब अपने ही दो मंत्रियों को छुट्टी बीमारी का हवाला देकर कर दे तो ये बात हजम नहीं होती.
इस पूरे घटनाक्रम का एक और सिरा विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है. आपको याद होगा कि कैसे गोवा विधानसभा चुनाव में बहुमत से कम सीटें हासिल करने के बाद भी बीजेपी ने अपनी सरकार बनाई. पर्रिकर को केंद्र से हटाकर राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया. दरअसल, गोवा बीजेपी से गठबंधन करने वाली पार्टियां सिर्फ और सिर्फ पर्रिकर के चेहरे पर ही गोवा सरकार का समर्थन कर रही हैं. किसी और को मुख्यमंत्री बनाए जाने की स्थिति में वो सरकार से किनारा कर सकती हैं ऐसे में सरकार गिर भी सकती है. राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ऐसी स्थिति नहीं चाहते. ऐसे में सांकेतिक तौर पर ही सही गोवा में पर्रिकर के नाम पर अब भी बीजेपी सरकार घिसट-घिसट के ही चल रही है.
विधायकों की संख्या के लिहाज से गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है. 40 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 17 विधायक हैं. 4 विधायकों को साथ लेकर कांग्रेस सत्ता में आ सकती है लेकिन 3-3 विधायकों वाली महराष्ट्रवादी गोमांत पार्टी हो या गोवा फॉर्वर्ड, दोनों ही कांग्रेस से सीएम पद की मांग कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस उन्हें आश्वासन भी नहीं दे पा रही है.
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