Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019यमुना इतनी नाजुक थी तो उत्सव की इजाजत क्यों दीः श्रीश्री रविशंकर

यमुना इतनी नाजुक थी तो उत्सव की इजाजत क्यों दीः श्रीश्री रविशंकर

श्रीश्री ने कहा- आयोजन की इजाजत देने के लिए एनजीटी, केंद्र और दिल्ली सरकार पर लगे जुर्माना

द क्विंट
भारत
Published:
(फोटोः AOL)
i
(फोटोः AOL)
null

advertisement

ऑर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने मंगलवार को कहा कि अगर यमुना 'इतनी ही नाजुक और शुद्ध थी' तो अधिकारियों को विश्व संस्कृति महोत्सव की इजाजत नहीं देनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को आयोजित करने की अनुमति देने के लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी), केंद्र और दिल्ली सरकारों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए.

रविशंकर की यह टिप्पणी एनजीटी की ओर से गठित एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बाद आई है. समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्सव की वजह से यमुना के बाढ़क्षेत्र पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए किए जाने वाले पर्यावरण पुनर्वास में एक दशक और 42.02 करोड़ रुपये लगेंगे.

ऑर्ट ऑफ लिविंग की तरफ से यह बयान मंगलवार को जारी किया गया. इसमें रविशंकर ने कहा कि ऑर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) ने एनजीटी सहित सभी जरूरी इजाजत ली थी.

बयान में कहा गया, “एनजीटी के पास आवेदन की फाइल दो महीने तक थी और वे इसे शुरुआत में ही रोक सकते थे. यह प्राकृतिक न्याय के सभी सिद्धांतों की अवहेलना है कि आप इजाजत देते हैं और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं होने पर भी जुर्माना लगा देते हैं. यदि यमुना इतनी ही नाजुक और शुद्ध थी, तो उन्हें शुरुआत में ही विश्व संस्कृति उत्सव को रोक देना चाहिए था. एक ऐतिहासिक कार्यक्रम जो प्रशंसा योग्य था, उसे अन्यायपूर्ण तरीके से अपराध के रूप में पेश किया गया है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

रविशंकर ने कहा कि उस समारोह ने हवा, पानी या भूमि किसी को प्रदूषित नहीं किया. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम को 155 देशों के तीस लाख से ज्यादा लोगों ने देखा. यह उत्सव 11 से 13 मार्च 2016 को राष्ट्रीय राजधानी के बारापूला एलिवेटेड रोड और डीएनडी फ्लाइवे के बीच नदी के बाएं तरफ आयोजित की गया था.

सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि यमुना नदी के दाहिने तरफ 300 एकड़ के मैदान और नदी के बाएं तरफ पूर्व में 120 एकड़ मैदान पर पारिस्थितिकीय रूप से 'प्रतिकूल प्रभाव' पड़ा है. आर्ट आफ लिविगं ने रिपोर्ट पर भी सवाल उठाया है और कहा है कि यह जान बूझकर मीडिया को लीक की गई और यह कि इसके कुछ सदस्य पक्षपाती हैं.

इस मामले पर एनजीटी में अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होनी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT