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MSP के मसले पर सरकार किसानों को आश्वासन देने को तैयार है: तोमर

26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर किसान संगठनों का प्रदर्शन चल रहा है

आईएएनएस
भारत
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25 सितंबर किसानों के भारत बंद से पहले नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- गुमराह होने की जरूरत नहीं
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25 सितंबर किसानों के भारत बंद से पहले नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- गुमराह होने की जरूरत नहीं
(फोटो: Twitter/BJP)

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किसानों को उनकी फसलों का डेढ़ गुना एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने का दावा करने वाली मोदी सरकार ने बार-बार दोहराया है कि एमएसपी पर फसलों की खरीद पूर्ववत जारी रहेगी और अभी भी इस मसले पर सरकार का रुख बरकरार है.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि एमएसपी के मसले पर सरकार किसानों को आश्वासन देने को तैयार है. कोरोना काल में कृषि के क्षेत्र को ज्यादा तवज्जो देते हुए केंद्र सरकार ने इसमें सुधार लाकर किसानों के जीवन में आमूलचूल बदलाव लाने के मकसद से तीन नये कृषि कानून लागू किए.

इन तीनों कानूनों का संसद से शुरू हुआ विरोध अब सड़कों पर है और 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर किसान संगठनों का प्रदर्शन चल रहा है. किसान संगठनों के नेता तीनों कानूनों को रद्द करने के साथ-साथ एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे हैं और इसके लिए नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं. किसानों की यह भी आशंका है कि नये कानून के बाद कि एमएसपी पर खरीद बंद हो जाएगी.

केंद्रीय मंत्री उनकी इस आशंका को निराधार बताते हैं उनका कहना है कि एमएसपी पर खरीद पूर्ववत जारी रहेगी. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार एमएसपी के मसले पर किसानों को आश्वासन देने को तैयार है. हालांकि इस समले पर नया कोई कानून लाने के मसले पर पूछने पर उन्होंने कहा कि जो व्यावहारिक नहीं है उस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. विशेषज्ञों की भी कुछ ऐसी ही राय है कि किसानों को एमएसपी की गारंटी देना और प्राइवेट ट्रेडर्स के लिए एमएसपी के नीचे के भाव पर फसलों की खरीद पर पाबंदी लगाना व्यावहारिक नहीं है.

देश के किसानों को उनकी फसलों का वाजिब और लाभकारी दाम दिलाने के मकसद से केंद्र सरकार हर साल कृषि लागत (सीएसीपी) और मूल्य आयोग की सिफारिश पर 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करती है. साथ ही, धान, गेहूं, तिलहन और दलहनों समेत कुछ अन्य फसलें सरकार एमएसपी पर खरीदती भी है.सीएसीपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर यह व्यावहारिक होता तो पहले ही इस तरह का कानून बन गया होता, उन्होंने कहा कि यह सोचने की बात है कि अब तक एमएसपी की गारंटी का कानून क्यों नहीं बना.

कृषि अर्थशास्त्री विजय सरदाना की मानें तो अगर प्राइवेट सेक्टर के लिए एमएसपी पर खरीद अनिवार्य कर किया जाएगा, देश में कृषि उपज की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार के मुकाबले उंचे होने पर निजी कारोबारी घरेलू बाजार से खरीदने के बजाए आयात करना शुरू कर देगा, ऐसे में सरकार को सारी फसल किसानों से खरीदनी पड़ेगी, उन्होंने एक आंकलन के आधार पर बताया कि मौजूदा एमएसपी पर अगर सरकार किसानों से सारी फसलें खरीदेगी तो इसके लिए सरकार को 17 लाख करोड़ रुपये खर्च करना पड़ेगा.

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केंद्र सरकार के अधिकारी कहते हैं कि किसानों से एमएसपी पर अब पहले के मुकाबले ज्यादा फसलें खरीद हो रही है, इसलिए किसानों को एमएसपी खत्म होने को लेकर आशंका नहीं पालनी चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एमएसपी पर कानून बनाने से कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां पैदा हो सकती हैं। यही वजह है कि एमएसपी को लेकर नया कानून बनाने के बजाए सरकार सिर्फ आश्वासन की बात कह रही है।

इस साल रबी सीजन में सरकार ने किसानों से रिकॉर्ड 389.92 लाख गेहूं की खरीद की है और चालू खरीफ सीजन में अब तक 350 लाख टन से ज्यादा धान की खरीद हो चुकी है। इसमें से सबसे ज्यादा पंजाब से करीब 203 लाख टन धान खरीदा गया है। भारतीय खाद्य निगम और राज्यों की एजेंसियों ने चालू खरीफ सीजन में 738 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा है।

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